बिजलीघरों का उत्पादन बढ़ाने को जुटा प्रबंधन
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। प्रदेशवासियों को बिजली संकट से राहत देने को सरकार हर संभव प्रयास करने में जुट गई
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। प्रदेशवासियों को बिजली संकट से राहत देने को सरकार हर संभव प्रयास करने में जुट गई है। नए बिजली घर लगाने से लेकर अनुबंध के जरिए बिजली की व्यवस्था करने के साथ-साथ सरकार की कोशिश है कि राज्य के बिजलीघरों का उत्पादन बढ़ाकर अधिकतम किया जाए।
दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के पांच तापीय बिजलीघरों की कुल उत्पादन क्षमता तो 4933 मेगावाट है लेकिन इनसे आमतौर पर ढाई-तीन हजार मेगावाट बिजली ही उत्पादित हो रही है। विभिन्न कारणों से ज्यादातर बिजलीघरों का प्लांट लोड फैक्टर कम ही है। उल्लेखनीय है राज्य में बिजली की मांग और उपलब्धता में दो-तीन हजार मेगावाट का अंतर है। मांग से कम उपलब्धता रहने से प्रदेशवासियों को अमूमन तय शेड्यूल के मुताबिक बिजली मयस्सर नहीं हो पा रही है। इसको देखते हुए सरकार की कोशिश है कि यथासंभव निजी क्षेत्र की महंगी बिजली खरीदने से बचते हुए उत्पादन निगम के बिजलीघरों का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए। इसके लिए निगम के बिजलीघरों की पुरानी यूनिटों के स्थान पर ज्यादा क्षमता की नई यूनिटों को लगाने के अलावा मरम्मत आदि का कार्य कर मौजूदा यूनिटों से अधिकतम बिजली का उत्पादन सुनिश्चित किया जाएगा। ऐसे में हाल ही में उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक का दायित्व संभालने वाले संजय प्रसाद खुद ही बिजलीघरों का निरीक्षण करेंगे। 210 मेगावाट की स्थापित क्षमता के पनकी व 1140 मेगावाट के पारीछा बिजली घर का निरीक्षण करने के लिए प्रसाद गुरुवार को यहां से रवाना हो गए। प्रबंध निदेशक ने बताया कि वह दिसंबर के पहले सप्ताह में अनपरा व ओबरा बिजलीघर का दौरा करेंगे। प्रसाद ने बताया कि सभी बिजलीघरों से अधिकतम बिजली का उत्पादन सुनिश्चित किया जाएगा। अनपरा की 500 मेगावाट की चार नंबर यूनिट दिसंबर में बिजली का उत्पादन करने लगेगी। विदित हो कि जनरेटर ट्रांसफार्मर जलने से यह यूनिट तीन अक्टूबर से बंद चल रही है।