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उर्वरक की किल्लत से किसान बेहाल

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में गेहूं बोआई का कार्य अभी 45 फीसद बकाया है और किसानों को उर्वरक संकट स

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 10:11 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 10:11 AM (IST)
उर्वरक की किल्लत से किसान बेहाल

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में गेहूं बोआई का कार्य अभी 45 फीसद बकाया है और किसानों को उर्वरक संकट से जूझना पड़ रहा है। सरकारी गोदामों पर डीएपी खरीदने पहुंचे किसानों को एनपीके खरीदने को मजबूर किया जा रहा है।

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इसके साथ ही यूरिया दस दिन बाद उपलब्ध होने का आश्वासन देकर टरकाया जा रहा है। कुप्रबंधन से पनपी खाद की किल्लत से बेहाल किसान आंदोलन को राह पकड़ रहे हैं। इस बाबत भाजपा किसान मोर्चा ने दो दिसंबर को प्रदर्शन की घोषणा की है जबकि रालोद ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है। भारतीय किसान संघ भी खाद गोदामों को घेरने की तैयारी में है।

फतेहपुर, फर्रुखाबाद, इटावा, एटा, जौनपुर, हापुड़, हाथरस, अंबेडकरनगर हो अथवा मऊ या कौशांबी, अधिकतर जिलों में खाद की किल्लत होने की शिकायतें मिल रही हैं। खासकर डीएपी व यूरिया की मांग पूरी करने में सरकारी संस्थाएं नाकाम सिद्ध हो रही हैं। रबी फसलों की बोआई में देरी से बेचैन किसान मजबूरन निजी विक्रेताओं से उर्वरक खरीद रहा है। भारतीय किसान आंदोलन के कुलदीप कुमार का आरोप है कि सूखे की मार झेल चुके किसानों को रबी की फसलों से बड़ी उम्मीदें हैं। समय से बोआई न होने और उर्वरकों की कमी से पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।

एनपीके बेचने पर जोर

बोआई के लिए डाई अमोनियम सल्फेट (डीएपी) के बदले नाईट्रोजन फास्फोरस व पोटेशियम (एनपीके) खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सहकारी गोदामों पर एनपीके की पर्याप्त मात्रा के चलते ही किसानों को जबरन डीएपी के स्थान पर एनपीके बेचे जाने का आरोप लगाते हुए भाकियू नेता नरेंद्र राणा का कहना है कि आनाकानी करने पर किसानों से दु‌र्व्यवहार किया जा रहा है। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि हुदहुद जैसे तूफानों के चलते उर्वरकों की आपूर्ति में विलंब हुआ, जिसे जल्द ही कवर कर लिया जाएगा। परिवहन व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण भी कई जिलों में खाद आपूर्ति बाधित हुई।

समितियों से उधार उर्वरक वितरण बंद

ऋण वसूली में फिसड्डी सहकारी समितियों में इस बार किसानों को उधार उर्वरक देने पर सहकारी बैंकों द्वारा पाबंदी लगा दी गई है। एटा के किसान सुमेर सिंह बघेल का आरोप है कि सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में फसल प्रभावित होने से किसान ऋणों की अदायगी नहीं कर सके।

कुछ जगहों पर हुई असुविधा

प्रमुख सचिव सहकारिता शैलेष कृष्ण ने बताया कि आमतौर पर उर्वरकों का संकट जैसी स्थिति नहीं है। कुछ स्थानों में आपूर्ति समस्या आने के कारण किसानों के लिए असुविधा हुई जिसके निदान के निर्देश दिए जा चुके हैं। नियमित मानीट¨रग भी करायी जा रही है।


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