मंदिर में नमाज जायज, बस सामने कोई तस्वीर न हो
लखनऊ। ईरानी पर्यटकों द्वारा आगरा के एक हनुमान मंदिर में नमाज अदा करने को देवबंदी उलमा ने ज
लखनऊ। ईरानी पर्यटकों द्वारा आगरा के एक हनुमान मंदिर में नमाज अदा करने को देवबंदी उलमा ने जायज करार दिया है। सहारनपुर स्थित देवबंद दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी का कहना है कि अगर नमाज पढ़ने वाले के सामने किसी तरह की कोई तस्वीर न हो तो ऐसी सूरत में कहीं पर भी नमाज पढ़ी जा सकती है। वहीं, इस्लामी विद्वान मौलाना नदीमुल वाजदी और जामियातुल अनवरिया के मोहतमिम मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर ने तस्वीर या मूर्ति न होने के साथ ही उस स्थान का पाक-साफ होना भी जरूरी बताया है। गुरुवार को आगरा आए ईरानी महिला पर्यटकों ने जगह न मिलने पर वहां के एक हनुमान मंदिर में नमाज अदा की थी। नमाज पढ़ाने का प्रबंध मंदिर से जुडे़ लोगों द्वारा किया गया था।
देवबंदी उलमा ने किया आजम के बयान का समर्थन
सहारनपुर : कैबिनेट मंत्री आजम खां के ताजमहल को वक्फ के हवाले किए जाने संबंधी बयान पर देश भर में बहस छिड़ गई है। आजम के इस बयान पर दारुल उलूम ने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी, लेकिन कहा कि इस मांग में कुछ गलत नहीं है। गुरुवार को आजम खां ने दिल्ली में बयान दिया था कि ताजमहल को पुरातत्व विभाग से लेकर यूपी वक्फ बोर्ड के हवाले किया जाना चाहिए। आजम के इस बयान पर विश्व प्रसिद्ध इस्लामी संस्था दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम एक इस्लामी तालीमी इदारा है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। दारुल उलूम राजनीतिज्ञों के बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देता है। दारुल उलूम वक्फ के उस्ताद मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी ने आजम की मांग पर अपनी सहमति जताई। जामिया कासमिया दारुत्तालीम व सना के मोहतमिम मौलाना इब्राहीम कासमी ने भी मंत्री के बयान को सही बताया है।