निगरानी करते वन कर्मचारियों को गच्चा देकर निकल गया बाघ
लखनऊ। बाघ को पकड़ने के प्रयास में जुटे विशेषज्ञों को चकम दे बाघ हाजीपुर जंगलों में पहु
लखनऊ। बाघ को पकड़ने के प्रयास में जुटे विशेषज्ञों को चकम दे बाघ हाजीपुर जंगलों में पहुंच गया। वन विभाग की टीम उसे उन्नाव के गढ़ी सिलौली के जंगलों में सीमित रखना चाहती थी लेकिन पांच दिन में टीम को सफलता नहीं मिली।
प्राणी उद्यान, लखनऊ और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की टीमों ने गढ़ी सिलौली गांव और कुर्मिन खेड़ा के बीच पड़ने वाले जंगल में ही बाघ को रोक कर रखने के लिए पानी के लिए गड्ढे खोदवाये। भैंस के बच्चे को भी बांधा पर बाघ झांसे में नहीं आया। नाइट विजन कैमरे में कैद बाघ सरोसी के निकट से मुख्यमार्ग पार कर गंगाघाट क्षेत्र के गांव हाजीपुर और कुंवरिया खेड़ा के मध्य जंगलों तक पहुंच गया। हाजीपुर के निकट जंगल में उसके पदचिह्न मिले हैं। रास्ते में उसने एक नील गाय का शिकार किया है। मांस में टुकड़े सोमवार को पाए गए हैं।
गढ़ी सिलौली निवासी दीपक तिवारी ने वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी कि रविवार रात लगभग साढ़े दस बजे उसने सरोसी के पास बाघ को सड़क पार करते देखा था। गढ़ी सिलौली के जंगलों की खाक छानने के बाद विशेषज्ञ वहां भी पहुंचे। फिर पंजों के निशान देखते हुए लगभग पांच किमी दूर कुंवरिया खेड़ा व हाजीपुर गांव के मध्य जंगल तक पहुंचे। इसके बाद चिह्न नहीं मिले। जहां तक चिह्न मिले हैं वह जंगल गंगा बैराज से बमुश्किल दो-तीन किमी दूरी पर है।
वन विभाग की टीम को बाघ लगातार चकमा दे रहा है। पहले दिन उसने शिकार के लिए बांधे गए भैंस के बच्चे का शिकार तो किया लेकिन टीम निगरानी नहीं कर सकी। दूसरे दिन शिकार के अवशेष लेकर चला गया। नाइट विजन कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हुई पर टीमें बाघ को पकड़ नहीं पाई। खास बात यह है कि वन विभाग की टीमें रात में जंगल की निगरानी करती रहीं और बाघ जंगल से निकल गया।