बीडीओ समेत कई अफसरों पर मनी लांड्रिंग का मुकदमा
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को मीरजापुर जिले में महात्मा गांधी ग्राम
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को मीरजापुर जिले में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के 4.45 करोड़ रुपये के घोटाले में खंड विकास अधिकारी समेत कई अफसरों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (मनी लांड्रिंग)के तहत मुकदमा दर्ज किया है। ईडी जल्द इन अफसरों की संपत्तियों की छानबीन शुरू करेगा। आरोपों के घेरे में कुल 14 अधिकारी बताए गए हैं।
ईडी के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में मीरजापुर जिले के हलिया विकास खंड में वर्ष 2007 से 2010 के बीच मनरेगा घोटाले के आरोपियों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है। हलिया विकास खंड में शुरुआत में पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (इओडब्ल्यू) और बाद में सीबीआइ की रिपोर्ट को आधार बनाकर यह कार्रवाई की गयी है। मनरेगा के तहत हलिया विकास खंड में फर्जी कोटेशन और अभिलेखों के जरिए गलत ढंग से धनराशि आहरित की गयी। जांच में इसके अनेक मामले प्रमाणित पाए गए। इस विकास खंड में कार्यो में ऐसे आपूर्तिकर्ताओं को अधिक भुगतान किया गया जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और फर्जी फार्म बनाकर भुगतान किए गए। बताते हैं कि हलिया विकास खंड में खनिजों का अवैध खनन कर दूर से अवैध परिवहन दिखाकर अधिक धनराशि व्यय की गयी और यह सारे पैसे खंड विकास अधिकारियों से लेकर अन्य अफसरों ने हड़प लिए। इस मामले में एक बीडीओ ने 54 मुकदमे भी दर्ज कराए। इओडब्ल्यू की जांच में दो तत्कालीन जिलाधिकारी, चार मुख्य विकास अधिकारी और छह खंड विकास अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए। संबंधित अवधि में मधुकर द्विवेदी, रमाकांत शुक्ल जिलाधिकारी के पद पर तैनात थे जबकि जसवंत सिंह, विजय प्रताप सिंह, भगेलू राम और राजेन्द्र कुमार मुख्य विकास अधिकारी थे। खंड विकास अधिकारी सुनील कुमार, तेजभान सिंह, भोलेनाथ कन्नौजिया, आशाराम सिंह, नन्दलाल सोनकर और शेषनाथ चौहान मुख्य रूप से इसमें आरोपित किए गए। बाद में कुछ लोगों को क्लीन चिट मिल गयी क्योंकि उनकी संलिप्तता नहीं थी। अब ईडी ने मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर आरोपों के घेरे में आए अफसरों पर निगाह टिका दी है।
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