मंजूर मिया भी करते हैं छठ पूजा
लखनऊ। इंसान के जीवन में कुछ घटनाएं अद्भुत प्रभाव डालती हैं। जिसके सहारे वह अपना पूरा जीव
लखनऊ। इंसान के जीवन में कुछ घटनाएं अद्भुत प्रभाव डालती हैं। जिसके सहारे वह अपना पूरा जीवन गुजार देता है। कुछ ऐसा ही हुआ बलिया में लोकनायक के गांव जयप्रकाश नगर के मंजूर मियां के साथ। उनके लिए छठ पूजा विश्वास व आस्था का ऐसा प्रतीक बन गया कि वह 35 वर्ष बाद भी हर व्रत रखना नहीं भूलते। चाहे कितने भी कष्टों में क्यों न हों।
मंजूर मियां की माने तो उनके चेहरे पर लहसन (काला धब्बा) था। बड़ी संख्या में लोगों की मन्नत पूरी होने पर छठ मइया का व्रत करते देख उनके मन में भी अचानक यह भाव जागा कि क्यों न वह भी मां से इस लहसन के ठीक होने की गुहार लगाए। जल्दी ही उनकी मन्नत पूरी भी हो गई वे सूर्य उपासना का व्रत करने लगे। ननिहाल छपरा के शीतलपुर से 1980 में शुरू हुए इस सिलसिले को वह आज भी बखूबी निभाते आ रहे हैं। घोर संकट में भी वह इससे पीछे नहीं हटते। छठ के प्रति उनकी गहरी आस्था को देखकर ही गाव के सभी हिंदू परिवार उनका भरपूर सहयोग करते हैं।
सिताबदियारा जयप्रकाश नगर के लाला टोला के मंजूर मिया पेशे से डुग्गी बजाने वाले हैं। किसी बड़े नेता का जेपी के गाव में आगमन हो तो उनकी डुग्गी यानी डंका उसकी आगवानी में पहले से खड़ा होता है। जब वह अपनी डुग्गी लेकर गाव में निकलते हैं तो हर कोई समझ जाता है कि कोई न कोई महत्वपूर्ण सूचना है। गरीबी की चादर में लिपटे मंजूर को जेपी के गाव का निवासी होने का भी गर्व कम नहीं है।
मंजूर मिया बताते हैं कि छठ में भीख मागने का भी बड़ा महत्व है। वैसे लोग इस मामले में शर्माते हैं किंतु छठ में संपन्न लोगों को भी इस परंपरा का निर्वाह करना चाहिए। बताया कि वह संपूर्ण सिताबदियारा में छठ पूजा के लिए भीख मागते हैं।