मनरेगा घोटाले में सीबीआइ की 19 ठिकानों पर छापेमारी
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) घोटाले की जांच कर
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने बुधवार को 19 ठिकानों पर छापेमारी की। भ्रष्टाचार, घटिया सामग्री की आपूर्ति और धन की बंदरबांट के आरोपियों के यहां यह छापेमारी की गयी। सीबीआइ ने लखनऊ में पांच, कुशीनगर में 11, बुलंदशहर में एक और गोरखपुर में दो स्थानों पर छापेमारी की। रात तक चली इस कार्रवाई में सीबीआइ को कई अहम दस्तावेज मिले हैं।
सीबीआइ का सर्वाधिक फोकस कुशीनगर जिले पर रहा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2007 से 2010 के बीच जिलों में कई धांधली उजागर हुईं। इसमें कुशीनगर में वर्ष 2010 में निर्मित एक पुल का भी भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। इसके लिए तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी और जिला पंचायत के अन्य अधिकारियों को जिम्मेदार माना गया है। बताते हैं कि कुशीनगर जिला पंचायत के खड्डा विकास खंड के सालिकपुर में नियमों की धज्जियां उड़ा कर तीस मीटर के पुल का निर्माण कराया गया। इस पर 69 लाख खर्च हुआ। मनरेगा के तहत आठ मीटर से ऊपर पुल निर्माण नहीं किया जा सकता है। खास बात यह कि पुल छह माह के भीतर ही 20 फरवरी 2011 को ध्वस्त हो गया। इसे लेकर काफी हंगामा मचा और जिला पंचायत के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी हुई। तत्कालीन दो अपर मुख्य अधिकारी, अधिशाषी अभियंता जिला पंचायत समेत कई लोगों पर धन के दुरुपयोग व धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन सत्ता में पहुंच के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कुशीनगर जिले में मनरेगा के तहत कई पुलों का निर्माण नियमों की अनदेखी करके हुई। अब सीबीआइ जांच में ये अफसर शिकंजे में फंस गए हैं। इसमें तत्कालीन पंचायती राज मंत्री और एक विधायक की भूमिका की भी सीबीआइ पड़ताल कर रही है।
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