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यूपी योजना आयोग को मिलेगा नया कलेवर

लखनऊ (राजीव दीक्षित)। संसाधनों के आकलन और नीतियों के नियोजन में विशेषज्ञों की सेवाएं लेने क

By Edited By: Published: Mon, 20 Oct 2014 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 20 Oct 2014 12:24 PM (IST)
यूपी योजना आयोग को मिलेगा नया कलेवर

लखनऊ (राजीव दीक्षित)। संसाधनों के आकलन और नीतियों के नियोजन में विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए राज्य योजना आयोग को नया कलेवर देने की तैयारी है। इस मकसद से सरकार ने आयोग का पुनर्गठन करने का फैसला किया है।

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इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों की माहिर शख्सियतों को आयोग में सेक्टोरल विषय विशेषज्ञों के रूप में रखा जाएगा। फिलहाल 12 सेक्टोरल विषय विशेषज्ञों को आयोग का सदस्य बनाने का प्रस्ताव है। इसके साथ गठित होने वाले सेक्टोरल ग्रुप में दो अतिरिक्त द्वितीय स्तरीय विशेषज्ञ रखे जाएंगे। योजना आयोग में विषय विशेषज्ञों और सेक्टोरल ग्रुप की व्यवस्था पहली बार लागू हो रही है। इस बारे में तैयार प्रस्ताव के मुताबिक आयोग में (1) कृषि, उद्योग, ऊर्जा, (4) अवस्थापना, (5) स्वास्थ्य, (6) शिक्षा, (7) सूचना प्रौद्योगिकी, (8) नगर विकास, (9) ग्राम्य विकास, (10) जल संसाधन, (11) प्रशासनिक एवं व्यवस्थापनात्मक सुधार के साथ (12) सड़क, पुल व परिवहन विषयों के सेक्टोरल विशेषज्ञ सदस्य होंगे। विषय विशेषज्ञों का मनोनयन मुख्यमंत्री करेंगे। विषय विशेषज्ञों और सेक्टोरल ग्रुप में रखे जाने वाले दो द्वितीय स्तरीय विशेषज्ञों की सदस्यता अवधि तीन साल होगी जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकेगा। सेक्टोरल विषय विशेषज्ञ को 1500 रुपये प्रतिदिन और द्वितीय स्तरीय विशेषज्ञ को 1000 रुपये प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जाएगा। विषय विशेषज्ञ तीन महीने में एक बार सेक्टोरल समूह की बैठक करेंगे और बैठक में आये सुझावों व संस्तुतियां योजना आयोग के सचिवालय को सौंपेंगे।

पुनर्गठन प्रस्ताव के तहत कृषि, सिंचाई एवं जल संसाधन, नगर विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, ग्राम्य विकास और ऊर्जा विभागों के मंत्रियों के अलावा मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त और मुख्यमंत्री द्वारा नामित अधिकतम छह गैर सरकारी सदस्य आयोग के पदेन सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री आयोग के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष उनके द्वारा नामित होगा। पुनर्गठन का यह प्रस्ताव योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी और मुख्य सचिव आलोक रंजन की सहमति के बाद अब संबंधित विभागों को उनका अभिमत हासिल करने के लिए भेजा गया है। विभागों का अभिमत प्राप्त होने के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।


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