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निवेश का माहौल पर केंद्र अटका रहा रोड़े

लखनऊ । उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की कामयाबी से उत्साहित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंदिरा गांधी प

By Edited By: Published: Sat, 20 Sep 2014 10:42 PM (IST)Updated: Sat, 20 Sep 2014 10:42 PM (IST)
निवेश का माहौल पर केंद्र अटका रहा रोड़े

लखनऊ । उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की कामयाबी से उत्साहित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित उद्यमी महासम्मेलन के मंच से केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवेश का माहौल है लेकिन केंद्र सरकार बिजली संकट पैदा कर रोड़े अटका रही है। प्रदेश में उद्यमियों के लिए तैयार किये जा रहे वातावरण को बिगाड़ने की साजिश करने वाले अभी शांत हैं क्योंकि जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया है।

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इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने वादा किया कि वह अक्टूबर से महीने में एक बार उद्यमियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं निपटायेंगे। उन्होंने मुख्य सचिव आलोक रंजन को निर्देश दिया कि वह मूल्य संवर्धित कर (वैट) की विसंगतियां दूर करने और औद्योगिक भूमि को फ्री-होल्ड करने की उद्यमियों की मांगों को पूरा करने का रास्ता निकालें। औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा सुधारने का भरोसा दिलाने के साथ उन्होंने यह भी ताकीद की कि उद्यमियों की सुविधा के लिए शुरू की गई सिंगल विंडो प्रणाली को सही मायने में जमीन पर उतारा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग के लिए बिजली जरूरी है लेकिन केंद्र सरकार न तो बिजली संयंत्रों के लिए कोयला दे रही है और न ही उप्र के कोटे की पूरी बिजली। केंद्र सरकार का कोई जवाब भी नहीं मिलता। पिछली सरकार ने नये बिजलीघरों के लिए नौ समझौते किये थे लेकिन एक के लिए भी कोयले का आवंटन नहीं हुआ। नेवेली लिग्नाइट कार्पोरेशन के साथ मिलकर बनाये जा रहे बिजली संयंत्र के लिए भी केंद्र ने अनापत्ति नहीं दी है। केंद्र सरकार अच्छे दिनों की बात तो करती है लेकिन उप्र को सहयोग दिये बिना अच्छे दिन नहीं आने वाले।

सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भगवत शरण गंगवार ने कहा कि उद्यमी संगठनों में सामंजस्य का अभाव है। वे आपस में बैठकर समस्याओं पर चर्चा नहीं करते हैं। अखिलेश सरकार के प्रयास से केंद्र ने प्रदेश में 113 औद्योगिक क्लस्टरों को मंजूरी दी है। सूबे का निर्यात बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है। आइआइए के अध्यक्ष प्रमोद मिगलानी ने मुख्यमंत्री के सामने एमएसएमई सेक्टर की मांगें रखीं। कार्यक्रम में मौजूद एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव महेश गुप्ता ने कहा कि क्लस्टर और एसाइड योजना के तहत उद्यमियों को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं।

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उद्यमियों की प्रमुख मांगें

-तीन महीने में एक बार उद्योग बंधु की बैठक की अध्यक्षता करें मुख्यमंत्री

-निजी इंडस्ट्रियल एस्टेट प्रोत्साहित किये जाएं

-उद्योगों के लिए दी गई कृषि भूमि का भू-उपयोग 30 दिनों में स्वत: परिवर्तित माना जाए

-औद्योगिक भूमि आसान शर्तों पर फ्री-होल्ड की जाए

-एमएसएमई से की जाए 20 प्रतिशत सरकारी खरीद

-डायरेक्टर ऑफ इंडस्ट्रीज रेट कांट्रैक्ट की व्यवस्था बहाल हो

-दूसरे प्रदेशों की तुलना में वैट की विसंगति दूर की जाए

-उद्योगों के लिए घोषित गृहकर नीति में डेप्रीसियेशन/रीबेट का प्रावधान हो

-इंस्पेक्टर राज खत्म किया जाए

-सभी तरह के लाइसेंस एकमुश्त फीस लेकर 10 साल के लिए जारी किये जाएं

-बीमार उद्योगों के लिए बने एग्जिट पॉलिसी

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बिजली किल्लत पर रोज करेंगे ट्वीट

बकौल मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार को लैपटॉप भले न पसंद हो लेकिन ट्वीट करना उसे खूब सुहाता है। जमाना भी मार्केटिंग का है। इसलिए वह अफसरों से कहने जा रहे हैं कि रोज ट्वीट कर बतायें कि आज इतनी बिजली कम, इतना कोयला कम। ट्विटर के जरिये हमारी शिकायत केंद्र तक पहुंचती रहेगी।

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पहले लेंगे, तब देंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार की मांग पर उन्होंने अमेठी में एम्स के लिए जमीन दी लेकिन एम्स के शिलान्यास कार्यक्रम में उन्हें ही नहीं बुलाया गया। तब से उन्होंने तय कर लिया है कि यदि केंद्र सरकार प्रदेश में किसी परियोजना के लिए कुछ मांगेगी तो बदले में वह भी सूबे के लिए अपनी मांग रखेंगे। इसी नीति के तहत उन्होंने केंद्र सरकार से मैनपुरी और बुंदेलखंड में सैनिक स्कूल मांगे। हाल ही में जब केंद्रीय कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने उनसे मिलकर उप्र में टेक्सटाइल पार्क बनाने की पेशकश की तो उन्होंने केंद्रीय मंत्री से साफ कह दिया कि फर्रुखाबाद और कन्नौज का ख्याल रखियेगा, हम तभी सहयोग देंगे।

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एमएसएमई पोर्टल बनेगा

मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि राज्य सरकार एमएसएमई के लिए एक वेब पोर्टल बना रही है। इस पोर्टल पर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर के सभी उद्योगों के नाम, उनके उत्पादों की कीमतें और गुणवत्ता की जानकारी उपलब्ध होगी। उद्योगों को तय समय में अनापत्तियां जारी करने की व्यवस्था को जनहित गारंटी अधिनियम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के बीमार उद्योगों को बारे में सरकार ने एक संस्थान से अध्ययन कराया है। अध्ययन रिपोर्ट मिलते ही सरकार जल्दी उस पर निर्णय लेगी।


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