शताब्दी और राजधानी में बढ़ेगा एक और कोच
लखनऊ। शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस में सीटों की मारामारी को लेकर यात्रियों को थोड़ी से
लखनऊ। शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस में सीटों की मारामारी को लेकर यात्रियों को थोड़ी से राहत मिलने वाली है। जल्द ही इसमें एक और कोच बढ़ाया जाएगा। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इंजन में नई तकनीक विकसित की है, जिससे इंजन के पीछे वाले जेनरेटर कार की छुट्टी हो जाएगी।
शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस में आम तौर पर कोचों की संख्या में बदलाव होता रहता है। प्रमुख रूप से जयपुर शताब्दी में नौ कोच, भोपाल शताब्दी में 14 से लेकर 18 कोच, निजामुद्दीन-बेंगलूरू राजधानी में 18, नई दिल्ली-बिलासपुर राजधानी में 12 कोच होते हैं। शताब्दी और राजधानी में एक-एक जेनरेटर कार भी लगा रहता है। एक रिजर्व जेनरेटर गार्ड कोच से जुड़ा रहता है। जेनरेटर कार से सभी कोचों में बिजली की सप्लाई की जाती है। करीब एक साल पहले आरडीएसओ ने जेनरेटर कार का विकल्प खोजना शुरू किया। ट्रेन के इंजन में नई तकनीकी से पॉवर सप्लाई की क्षमता बढ़ाई। सफलता के बाद इस तकनीकी वाले इंजन से नई दिल्ली-कालका शताब्दी में ट्रायल शुरू हुआ। जेनरेटर कार के बदले ट्रेन के इंजन से सभी कोचों को ओएचई (ओवरहेड इलेक्ट्रिक) लाइन से पॉवर सप्लाई दी जाने लगी। आरडीएसओ द्वारा विकसित नई तकनीक से दो में से एक जेनरेटर कार की जरूरत नहीं होगी। इसके बदले शताब्दी और राजधानी में नया कोच लगाया जा सकेगा। इससे रेलवे को फायदा होगा, क्योंकि जेनरेटर कार को डीजल से चलाया जाता है। अगर कोचों और पैंट्री कार को बिजली की सप्लाई इंजन से सीधे होगी तो ऐसे में डीजल की बचत होगी। साथ ही इससे प्रदूषण भी कम फैलेगा।
कार्यकारी निदेशक का कहना है कि अभी तक जेनरेटर कार से ही कोचों में पॉवर की सप्लाई होती है, लेकिन इंजन के भीतरी पुर्जो में बदलाव किया गया है। जो तकनीक विकसित की गई है, उससे इंजन से सभी कोचों को पॉवर की सप्लाई होगी। इससे जेनरेटर कार की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। यहां तक पैंट्री कार को भी पॉवर की सप्लाई हो सकेगी। कार्यकारी निदेशक आरडीएसओ लखनऊ एके माथुर का कहना है कि डीजल इंजन से एसी कोचों को पॉवर सप्लाई का कार्य चल रहा है। जल्द ही इंजनों में मामूली बदलाव कर इस काबिल बना दिया जाएगा।