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ताज के मेहमान खाने को दीमक से खतरा

लखनऊ। दुनिया को दीवाना बनाने वाले आगरा के ताजमहल के सामने अब दीमक का खतरा खड़ा हो गया

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 02:43 PM (IST)Updated: Tue, 26 Aug 2014 02:43 PM (IST)
ताज के मेहमान खाने को दीमक से खतरा

लखनऊ। दुनिया को दीवाना बनाने वाले आगरा के ताजमहल के सामने अब दीमक का खतरा खड़ा हो गया है। पहले से ही स्थायित्व के सवालों में घिरे स्मारक पर इस नए संकट ने अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) का पसीना छुड़ा दिया है। सैलानियों के बोझ और दीमक के कारण मेहमान खाने पर लगा लकड़ी का रैंप जर्जर हो गया है। जिसे एएसआइ पूरा बदल रही है। हालांकि अधिकारी अभी दीमक लगने की बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

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विश्वदाय स्मारक ताज में विकलांग सैलानियों की सुविधा के लिए मुख्य गुंबद और फोरकोर्ट (परिसर) में लकड़ी के रैंप लगाए गए हैं। इनमें से मुख्य गुंबद पर जाने को मेहमानखाने की ओर लगे रैंप को तोड़कर नया रैंप बनाया जा रहा है। हटाए जा रहे रैंप की लकड़ी बुरी तरह जर्जर हो चुकी है। इस पर दीमक का असर भी साफ नजर आ रहा है।

सूत्रों के मुताबिक सैलानियों की भीड़ से रैंप को नुकसान हुआ है। दीमक लगने से इसकी लकड़ी के तख्ते खराब हुए हैं। जो रैंप बदला जा रहा है, उसे वर्ष 2008-09 में लगाया गया था। एएसआइ अधिकारी भले ही दीमक लगने की बात को स्वीकार नहीं कर रहे हों लेकिन ताज में दीमक का खुलासा पूर्व में सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी हो चुका है। वर्ष 2007-08 में सर्वे ऑफ इंडिया ने ताज में अध्ययन किया था। उसने ताज की अंडरग्राउंड कोठरियों में दीमक का प्रकोप होने की रिपोर्ट दी थी। जिसके बाद ट्रीटमेंट किया गया था। सूत्रों के मुताबिक रैंप पर हर साल करीब दो बार पेंट करने के साथ दीमक का ट्रीटमेंट भी किया जाता है।

बढ़ती भीड़ खतरनाक

ताज में उमड़ने वाली सैलानियों की भीड़ भी स्मारक को नुकसान पहुंचा रही है। बीते साल भीड़ नियंत्रण के लिए ताज में नया मूवमेंट प्लान लागू किया गया था। जिसके बाद भारतीय सैलानियों को मेहमान खाने की ओर से मुख्य मकबरे पर भेजा जाता है। रैंप क्षतिग्रस्त होने के लिए देसी सैलानियों की अधिक भीड़ उमड़ने से दबाव पड़ने को जिम्मेदार माना जा रहा है।

रिपोर्ट में सामने आएगी हकीकत

पूर्व में ताज को खतरे पर सवाल उठ चुके हैं। जिसके बाद एएसआइ ने स्मारक के स्थायित्व की जांच और स्मारक की भारण क्षमता (एक दिन में कितने पर्यटक जा सकते हैं) तय करने का जिम्मा नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) को सौंपा है। नीरी अपना अध्ययन पूरा भी कर चुकी है, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एनके पाठक ने बताया कि ताज में दीमक कहीं नहीं है। हम समय-समय पर स्मारक में इसकी जांच करते हैं। जो टूट-फूट होती है, उसकी समय-समय पर मरम्मत कराई जाती है। रैंप क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत कराई जा रही है।


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