चित्रकूट में पहले व्यवस्था हो जाती तो नहीं मचती भगदड़
लखनऊ। धर्मनगरी चित्रकूट में भगदड़ मचने के पीछे प्रशासन की घोर लापरवाही समने आई। प्रशासन ने इत
लखनऊ। धर्मनगरी चित्रकूट में भगदड़ मचने के पीछे प्रशासन की घोर लापरवाही समने आई। प्रशासन ने इतने बड़े मेले के लिए अलग से कोई खास इंतजाम किए। यहां भगदड़ में दस श्रद्धालुओं की मौत के बाद ऐसा लगा जैसे मध्य प्रदेश प्रशासन नींद से जाग गया हो। घटनास्थल पर दर्जन भर से अधिक पुलिस कर्मियों ने लाठी की बैरिकैडिंग बनाकर श्रद्धालुओं को परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ाया। देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में डुबकी लगाने के बाद परिक्रमा शुरू की। परिक्रमा की शुरुआत आधे श्रद्धालु राम मोहल्ला स्थित प्रमुख द्वार से करते हैं तो आधे प्राचीन मुखारबिंद से करते हैं। भीड़ का दबाव प्राचीन मुखारबिंद में ज्यादा रहता है पर यहा मार्ग काफी संकरा है। जो जगह है भी उसमें बीच रास्ते में हवनकुंड बना दिया गया। मंदिर के ठीक आगे संकरा मोड़ है। सोमवार की भोर में यहा भीड़ का दबाव यहा ज्यादा हो गया था। प्रशासन को भीड़ काफी ज्यादा होने की संभावना पहले से थी पर सतना प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्था नही की। प्राचीन मुखारबिंद के पुजारी भरतशरण दास ने बताया कि घटना के समय पर्याप्त पुलिस बल नहीं था जो जवान ड्यूटी पर लगाए गए थे वह सब एक चबूतरे में बैठे थे। घटना होते ही सबसे पहले एसडीओपी पीएल अवस्थी पहुंचे और पुलिस बल के साथ भगदड़ पर नियंत्रण किया। एसडीएम दीपक वैद्य व अपर एसपी अमित वर्मा ने भी पहुंचकर व्यवस्थाओं की कमान संभाली। आनन-फानन में डंडा लिए खड़े सिपाहियों को लाठी की बैरीकैटिंग बनाकर घटनास्थल पर तैनात कर दिया गया। जिससे श्रद्धालु परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़ते गए। यह देखकर बाहर से आए तमाम श्रद्धालुओं ने कहा कि यदि पहले ही यह व्यवस्था की जाती तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता। मेला क्षेत्र में वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए सतना बस स्टैंड पर बैरियर लगा दिया गया और दो पहिया वाहनों तक को नही घुसने दिया गया। इससे तमाम लोगों को परेशानी भी उठानी पड़ी।