सरकार ने मांगा प्रोन्नत कर्मियों का ब्योरा
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका के मद्देनजर सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सभी विभागों से उन कर्मचारियों और अधिकारियों का ब्योरा मांगा गया है जो बसपा शासन में आरक्षण शासनादेश के तहत प्रोन्नत हुए थे। ऐसे कर्मचारियों की संख्या लगभग दो लाख है।
सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पिछले दिनों बैठक कर अधिकारियों को 15 दिन के भीतर प्रोन्नत कर्मियों का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। सरकार को सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका पर जवाब दाखिल करना है। याचिका सर्वजन हिताय समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने बसपा शासनकाल में जारी प्रमोशन में आरक्षण आदेश को गलत ठहराया था। अदालत के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रोन्नत अधिकारियों-कर्मचारियों को रिवर्ट नहीं किया है।
दूसरी ओर सरकार द्वारा ब्योरा मांगे जाने से आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति में बेचैनी है। समिति ने एक बैठक करके कहा है कि यदि प्रोन्नत कार्मियों को रिवर्ट करने का प्रयास किया गया तो प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाएगा। समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई है कि एक कमेटी गठित कराकर यह सर्वे कराया जाए कि वर्तमान में राज्य सरकार के विभागों में आरक्षित वर्ग के कार्मिकों की स्थिति क्या है। बैठक में इंजीनियर केबी राम, रमेश चंद्र, आरपी केन, राम बिरज रावत, डा. राम शब्द जैसवारा आदि शामिल रहे।