मोहनलालगंज कांड : जांच मिली तो सीबीआई को भी होगी मुश्किल
लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। राजधानी के मोहनलालगंज के दिल दहला देने वाले कांड की सीबीआइ जांच की म
लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। राजधानी के मोहनलालगंज के दिल दहला देने वाले कांड की सीबीआइ जांच की मांग जोर पकड़ने लगी है। राजनीतिक दलों से लेकर पीड़ित परिवार सीबीआइ जांच पर अड़ गया है। हालांकि अब विशेषज्ञों का कहना है कि सीबीआइ जांच के आदेश हो भी गए तो घटना की तह तक पहुंचना आसान नहीं होगा। साक्ष्यों के गायब होने से सीबीआइ के लिए मुश्किल होगी।
मोहनलालगंज के बलसिंहखेड़ा के एक प्राथमिक विद्यालय में एक महिला के साथ दरिंदगी की घटना में पुलिस की कहानी किसी के गले के नीचे नहीं उतर रही। घटना की सीबीआइ जांच की मांग उठ रही है। हालांकि पिछले कुछ वर्षो में हत्या जैसी घटनाओं की सीबीआइ जांच का नतीजा बहुत संतोषजनक नहीं रहा। अधिकांश घटनाओं में सीबीआइ जांच शुरू होते-होते बहुत से साक्ष्य नष्ट हो चुके थे। मोहनलालगंज मामले की तो हालत और खराब है। इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर तमाम साक्ष्य नदारद हैं। एक सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक का कहना है कि सीबीआइ तो जांच में साक्ष्यों की तलाश करती है, लेकिन इस केस में तो ऐसा लगता है जैसे जानबूझ कर साक्ष्य मिटा दिए गए हैं।
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इन वजहों से जांच में परेशानी
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं, जबकि क्राइम सीन के मुताबिक सामूहिक दुष्कर्म के बाद बेरहमी से कत्ल।
- एक किडनी दान करने के बावजूद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की दोनों किडनी बरामद।
- महिला की वास्तविक उम्र 36 वर्ष, लेकिन पीएम रिपोर्ट में 25 वर्ष।
- दोबारा पोस्टमार्टम की गुंजायश नहीं। महिला की अंत्येष्टि।
- आरोपी रामसेवक ने अजीज नामक एक व्यक्ति के मोबाइल व फेक आइडी वाले सिम से महिला से बढ़ाया सम्पर्क और उसे बुलाया। सिम और मोबाइल गायब।
- महिला का भी मोबाइल गायब। घटना में प्रयुक्त हेलमेट, महिला के प्राइवेट पार्ट में जिस डंडे से हमले हुआ, वह भी गायब।
- पुलिस रामसेवक को रिमांड पर लेने के बावजूद कुछ न बरामद करा सकी।
- जिस राजीव नामक व्यक्ति के नाम पर रामसेवक ने महिला को बुलाया, उसका भी रहस्य बरकरार।
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हो सकती है पॉलीग्राफी जांच
पुलिस मोहनलालगंज कांड के आरोपी रामसेवक यादव की पॉलीग्राफी जांच करा सकती है। राजफाश के बाद सवालों से घिरी पुलिस इस जांच पर विचार कर रही है। शासन स्तर पर की जा रही समीक्षा के दौरान यह बात आयी कि अगर पुलिस की थ्योरी सच है तो वह रामसेवक की पॉलीग्राफी जांच के लिए अदालती प्रक्रिया शुरू करे। ऐसे में पुलिस अदालत से जांच की अनुमति मांगेंगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार इसके लिए रामसेवक की भी सहमति जरूरी होगी।
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बहादुरी में जीवन हार गई बेटी
लखनऊ में जीपीओ के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे निर्भया के पिता, सास-ससुर और देवर कल धरने पर बैठ गए। मृतका के पिता ने कहा कि उनकी बेटी बहादुरी में ही जीवन हार गई। मेरी बेटी को कभी सुख न मिला। उसका जीवन संघर्ष से शुरू हुआ और संघर्ष से ही खत्म। वह खुद का एक मकान चाहती थी। इसके लिए वह मेहनत कर तिनका-तिनका जोड़ रही थी। परिवारीजनों ने कहा, झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले डाक्टर निलंबित किये जाएं। पुलिस व प्रशासन के जो अधिकारी इस पैनल में थे, उन पर भी कार्रवाई हो। वारदात में शामिल अपराधियों को मौत की सजा दी जाए। जिन संदिग्ध लोगों के नंबर मिले हैं उन्हें बचाया जा रहा है। पुलिस हर दिन नई कहानी गढ़ रही है।