बीएचयू दीक्षांत समारोह में उत्कृष्टता को ध्येय बनाने का संकल्प
लखनऊ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गुरुवार को 96वें दीक्षांत समारोह में 28 मेधावियों को उत्कृष्टता
लखनऊ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गुरुवार को 96वें दीक्षांत समारोह में 28 मेधावियों को उत्कृष्टता मेडल प्रदान करने के साथ ही 10757 उपाधियों को स्वीकृति दी गई। दीक्षांत भाषण में खगोलविद् प्रो. जयंत विष्णु नार्लीकर ने भारत की शैक्षिक मजबूती का हवाला दिया और नालंदा जैसे शिक्षण संस्थानों की दीक्षा का खाका खींचा। दीक्षित विद्यार्थियों को सीख दी कि उत्कृष्टता को प्राथमिक ध्येय बनाएं, संस्थानों को शैक्षिक उत्कृष्टता के शिखर तक पहुंचाएं और अभिभावकों-गुरुजनों के प्रति आदर भाव रखें।
नार्लीकर ने साफगोई से कहा कि शिक्षा प्रणाली, परीक्षा पद्धति और छात्रों से अपेक्षित उत्कृष्टता आज दूर है। रटंत पद्धति ने कबाड़ा किया है, परीक्षा समाप्त होते ही रटी हुई जानकारी मस्तिष्क से निकल जाती है। इस परिस्थिति में बदलाव आना चाहिए। उन्होंने उत्कृष्टता से दूर हो जाने के कारण भी बताए। कहा कि वास्तव में शिक्षा और अनुसंधान एक साथ चलते हैं और दोनों एक दूसरे को नए सिरे से प्रोत्साहित करते हैं। दुर्भाग्यवश भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान पर कम ध्यान दिया जाता है और शोध संस्थानों में तो शिक्षा की परंपरा ही नहीं है। हमारे विश्वविद्यालयों के छात्र नई खोजों के रोमांच से वंचित रह जाते हैं और शोध संस्थानों को बहुत कम छात्र मिल पाते हैं जो अनुसंधान के लिए उत्साहित हों। कुलपति डा लालजी सिंह ने विद्यार्थियों को अनुशासन बताया व संकल्प कराया कि सच बोलें, धर्माचरण करें, सत्य, धर्म, ऐश्वर्य, स्वाध्याय व प्रवचन में प्रमाद न करने की सीख दी।
28 मेधावियों को उपाधि : विभिन्न संकायों के 28 मेधावियों को उपाधियां दी गई व उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई। इसके साथ ही एक दिन पूर्व प्रदान की गई पीएचडी की 508, एमफिल की 31, स्नातकोत्तर की 4065 तथा स्नातक की 6153 उपाधियों को स्वीकृति प्रदान की गई।