ट्रिपलआइटी में शुरू हुआ विज्ञान का 'महाकुंभ'
लखनऊ। विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत तो सभी वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को पता होते हैं पर
लखनऊ। विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत तो सभी वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को पता होते हैं पर नए आविष्कार ही विज्ञान के महत्व को जिंदा रखेंगे। नए आविष्कारों के लिए वैज्ञानिकों में उत्सुकता और आत्म विश्वास बेहद जरूरी है। यही गुण किसी भी वैज्ञानिक को विशेष बनाता है। जरूरी नहीं कि सिर्फ नोबल पुरस्कार जीतने के कारण ही कोई वैज्ञानिक विशेष होता है। कई ऐसे भी वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भले ही नोबल पुरस्कार नहीं मिले हों पर उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। छात्रों की ओर इशारा करते हुए नोबल पुरस्कार आप भी जीत सकते हो, बस जरूरत है खुली आंखों से सपने देखने की। अपनी सोच के दायरे को व्यापक रखो। खूब मेहनत करो और वही पढ़ो जो तुम्हें अच्छा लगता है। यह कहना है 1973 में नोबल पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिक प्रो. आइवर गीवर का। गीवर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में (ट्रिपलआइटी) में रविवार से शुरू हुए छठवें विज्ञान समागम को संबोधित कर रहे थे।
'विज्ञान का भविष्य' विषय पर सेमिनार में उन्होंने कहा कि विज्ञान की पढ़ाई कर रहे युवाओं को शोध के क्षेत्र में नए नए आविष्कार करने होंगे तभी विज्ञान मानव जीवन को और सरल-सुगम कर सकेगा। ऑस्ट्रेलिया में जन्मे अमेरिकी वैज्ञानिक प्रो. वाल्टर कोहन ने ग्लोबल वार्मिग के खतरों से अवगत कराया। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या और घटते तेल व गैस के स्त्रोतों पर चिंता जताई और वैकल्पिक ऊर्जा पर वैज्ञानिकों को ध्यान केंद्रित करने की अपील की। उन्होंने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट सहारा मरुस्थल में स्थापित हो रहा है। इसके बाद नोबल वैज्ञानिक प्रो. डगलस ओशरफ ने सेमिनार को संबोधित किया। प्रो. डगलस डी ओशरफ को 1996 में भौतिक विज्ञान में हीलियम-3 में सुपरफ्लूइडिटी में खोज के लिए नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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