यूपी में आरटीई का निगरानी तंत्र नदारद
- तीन वर्ष बाद भी नहीं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग
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राजीव दीक्षित, लखनऊ : उत्तार प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून को लागू हुए भले ही तीन वर्ष बीत गए हों लेकिन इसके तहत बच्चों के अधिकारों की निगरानी का ढांचा नदारद है। कानूनी बाध्यता के बावजूद अभी तक उप्र में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नहीं गठित हो पाया है। बाल अधिकारों की उपेक्षा पर जहां राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सरकार से जवाब-तलब कर चुका है, वहीं हाई कोर्ट भी फटकार लगा चुका है।
आरटीई की धारा 31 में दी गई व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर बाल अधिकारों के संरक्षण का दायित्व एनसीपीसीआर पर है। वहीं प्रदेश स्तर पर यह दारोमदार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग पर है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कर्तव्य है कि वह आरटीई के तहत बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करे और उन्हें प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के उपाय सुझाये। आयोग को शिक्षा के अधिकार कानून के उल्लंघन की शिकायतों की पड़ताल करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। बच्चों के अधिकारों के हनन की शिकायतों की सुनवाई के मामले में आयोग को वही अधिकार हासिल हैं जो बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 14 व 24 के तहत प्राप्त हैं।
आरटीई की बाध्यता के बावजूद उप्र में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की भूमिका शून्य है। नियमावली में प्रावधान है कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन होने तक राज्य सरकार बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए अंतरिम व्यवस्था के तहत शिक्षा अधिकार संरक्षण प्राधिकरण का गठन करेगी। रेपा का गठन आरटीई लागू होने के छह माह में ही हो जाना चाहिए था लेकिन उप्र में इसका गठन भी नहीं हो पाया है।
बाल अधिकारों की हिफाजत में उप्र फिसड्डी : बाल अधिकारों के संरक्षण के मामले में उप्र देश के अन्य राज्यों के मुकाबले फिसड्डी साबित हुआ है। देश के 27 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिनमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या रेपा का गठन हो चुका है। जिन 19 राज्यों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना हो चुकी है उनमें असम, बिहार, छत्ताीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्ताराखंड, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसके अलावा जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रेपा का गठन हो चुका है उनमें अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नगर हवेली, दमन व दियू, मेघालय व त्रिपुरा शामिल हैं।
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