हाय गर्मी! 39 डिग्री पहुँचा ़िजले का तापमान
ललितपुर ब्यूरो : कड़ी धूप और भीषण गर्मी से पूरा ़िजला बुरी तरह झुलस रहा है। सुबह से लेकर शाम तक शरीर
ललितपुर ब्यूरो : कड़ी धूप और भीषण गर्मी से पूरा ़िजला बुरी तरह झुलस रहा है। सुबह से लेकर शाम तक शरीर को झुलसाने वाली गर्मी से जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। गर्मी का यह आलम है कि पंखे और कूलर भी गर्मी से राहत नहीं दे पा रहे हैं। गर्मी से न घर में चैन मिल रहा है, न बाहर। घरों में धूप से तो राहत है, लेकिन दोपहर तक पक्के मकानों के गर्म हो जाने से लोगों को घरों में भी राहत नहीं मिल पा रही है।
रविवार को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। सुबह सूर्योदय के साथ ही आसमान सूरज की किरणें आँखों में चुभने लगीं। 10 बजते सूरज के ताप से धरती भी तपना शुरू हो गई। दोपहर में सड़कों पर निकलना तक मुश्किल हो गया। बाजार और सड़कों पर सन्नाटा छा गया, जो लोग घरों के बाहर निकले, वह छाया ढूंढते नजर आए। यहाँ तक कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवर भी छाया में बैठने की कोशिश करते दिखे। रविवार को सुबह से ही गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों को झुलसा कर रख दिया। गर्मी से परेशान हाल लोग न काम कर पा रहे हैं, न आराम। कड़ी धूप और गर्मी से लोगों का दिन भर गला सूखता रहा। किसी ने पानी से तो किसी ने गन्ने या बेल के जूस से गला तर किया।
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गर्म हवाओं ने किया परेशान
मौसम की बदमिजाजी का असर लोगों की सेहत पर दिखने लगा है। पछुआ हवाओं के साथ चल रहे धूल-धक्कड़ ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी है। तपिश, लू और धूल आँखों को प्रभावित कर रहा है। इस मौसम में लोगों की आँखों की लाली छा गई है। नेत्र चिकित्सकों के मुताबिक आँखों की हिफाजत करने में लोग एहतियात नहीं बरत रहे है। इस मौसम का लोगों की आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके चलते लोगों की आँखों में खुजली, जलन, आँखों में पानी आने की शिकायतें रहती है। आई फ्लू की दिक्कत होती है। आँख से जुड़ी कोई दिक्कत हो तो तुरन्त नेत्र चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
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अस्पताल में बढ़े हीट-स्ट्रोक के मरीज
तापमान में आए बदलाव के चलते हीट स्ट्रोक (लू) और डीहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) की आशका ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मौसम के बदले मिजाज से अस्पताल में रोगियों की संख्या बढ़ गई है। धूल, धुँआ और गन्दगी से श्वाँस के रोगियों की संख्या भी अस्पताल में बढ़ी है। बदले मौसम ने सबसे अधिक परेशानी बच्चों के लिए खड़ी कर दी है। शरीर में पानी की कमी होने से बच्चे उल्टी दस्त से जहाँ पीड़ित है, वहीं बड़े लोग भी हीट स्ट्रोक और श्वाँस रोग से परेशान है। चिकित्सकों का मानना है कि धूल, धुँआ और गेहूँ की मड़ाई के चलते निकलने वाले कणों से श्वाँस रोगियों की मुश्किल हो रही है, इससे अस्पतालों में रोगियों की तादाद भी बढ़ रही है।
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मोहल्लों में बढ़ने लगा पेयजल संकट
गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर के मोहल्लों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। पानी की माँग तो बढ़ी, लेकिन पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं होने के कारण लोग सार्वजनिक नलों में जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं। तेज धूप की वजह से तालाब व नदी-नालों में पानी सूखने के कगार पर हैं। आने वाले दिनों में जिले का तापमान और बढ़ने की सम्भावना जताई जा रही है। धूप से बचने जहा एक ओर महिलाएं दुपट्टे का सहारा लेती हैं, वहीं अधिकतर लोग मुँह में गमछा बाधकर चलते हैं। शीतल पेय पदार्थो की माग भी इन दिनों बढ़ गई है। घर से बाहर आते ही हर दूसरे कदम पर गला सूखने लगता है।
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लू से ऐसे करें बचाव
- खाली पेट घर से बाहर न निकलें।
- सिर पर अंगौछा व और कपड़ा बाँधकर ही निकलें।
- आधी बाँह के कपड़े पहनने से बचें।
- बासी भोजन न करें, सफाई का ध्यान रखें।
- बच्चों और वृद्धों की इन दिनों विशेष देखभाल करें।
- खाने में प्याज का अधिक सेवन करें।
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कम्पाइल..
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ललितपुर : कुछ इस तरह गन्दगी में निकाला जा रहा गन्ने का जूस।
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10 रुपये में एक गिलास 'पॉइजन'
- गन्ने के अशुद्ध रस से फैलतीं हैं बीमारियाँ
ललितपुर : ़िजले में जगह-जगह खुले में गन्ने के रस के खोखों-ठेलों में लोगों को बीमारियाँ बेची जा रही हैं। इस प्रकार गंदगी में बिक रहे रस का सेवन करने से लोगों में संक्रामक बीमारिया फैलने की आशका बनी रहती हैं। डॉक्टरों का भी मानना है कि गन्दे माहौल में मक्खियों की भिनभिनाहट के बीच बिक रहे गन्ने के रस व खाद्य पदार्थो से लोगों को पेट की बीमारियाँ घेर सकती हैं। कहने को तो यह लाभदायक पेय 10 रुपये गिलास मिलता है, लेकिन अशुद्ध होने पर बीमारियाँ हजार दे जाता है।
शहर में आधा सैकड़ा से अधिक दुकानों में गन्ने व जूस के स्टॉल सजे हुए हैं। कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से यह धन्धा चल रहा है। साफ-सफाई के बिना दुकानदार जूस बेच रहे हैं। खुला रखा होना व साफ.-सफाई न होने से दिनभर मक्खिया जूस पर मंडराया करती हैं। इसके बाद भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन इन पर कार्यवाही नहीं कर रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि इस प्रकार से सड़क किनारे खुले में लापरवाही से बिक रहे गन्ने के रस, देर से कटे हुए फल और अन्य खुले रखे पेय व खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के प्रदूषित पदाथरें के इस्तेमाल से लोगों की सेहत बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में खुले में बिक रहे कटे हुए फल, सब्जिया, खोये की मिठाइया व दूषित पेय पदार्थो का सेवन करने में सावधानी बरतनी चाहिए। इनका अधिक उपयोग करने से एक स्वस्थ व्यक्ति भी पेट में दर्द, दस्त, बदहजमी, सरदर्द, तनाव आदि बीमारियों की चपेट में आ सकता है। बताया कि कटे हुए फल और एक दो दिन रखे हुए रस में पॉइ़जन की मात्रा आ जाती है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
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नकली 'कोल्डड्रिंक्स' पहुँचाएगी अस्पताल
नक्कालों ने एक कोल्डड्रिंक निकाला है। ओरेंज, लेमन और एक फ्लेवर का बता कर एक गिलास दस रुपये में बेचा जा रहा है। गिलास पर न तो कोई इंग्रीडिएंट लिखा है, न ही इसकी कोई मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखी गई है। गरमी के दिनों में नक्कालों ने डुप्लीकेट कोल्ड ड्रिंक्स पेप-सी से मोटी कमाई शुरू कर दी है। 2 से 3 रुपये में तैयार होने वाले इस गिलास को 10 रुपये में बेच कर मुनाफाखोर पाच गुना तक की बड़ी कमाई कर रहे हैं।
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ठण्डा मतलब, लूट का फण्डा
शहर में इन दिनों पानी की ठण्डी बोतल का रेट 20 रुपये है। लेकिन हकीकत में पानी की यह बोतल 15 रुपये से ज्यादा में नहीं बेची जा सकती है। इसी तरह से आधा लीटर की ब्रैण्डेड कोल्डड्रिक 35 रुपये में बेची जा रही है, जिसकी सही कीमत 30 रुपये है। पूछने पर दुकानदार बोतलों को ठण्डी करने में लगी बर्फ, बिजली कटौती का हवाला देकर रेट बढ़ाने की बात कहते है। जबकि ऐसा नही किया जा सकता। यही नहीं, कई बार मुसाफिरों की प्यास का फायदा उठाकर दुकानदार लड़ने पर आमादा हो जाते है। ट्रेनों के अन्दर से लेकर बाहर स्टेशन के स्टॉल तक सब जगह खुलेआम यही चल रहा है।