बहुत खूब! कक्षा 2 और 3 में गणित का पेपर एक समान
ललितपुर ब्यूरो : परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की परीक्षायें मजाक बनकर रह गई है। सोमव
ललितपुर ब्यूरो : परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की परीक्षायें मजाक बनकर रह गई है। सोमवार को तो हद ही हो गई, जब कक्षा 2 और 3 के बच्चों को गणित विषय का एक समान प्रश्न-पत्र बाँट दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि अफसरों ने भी इस गम्भीर त्रुटि को बेहद हल्के में लिया और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होने दिया।
निजी विद्यालयों से मिल रही तगड़ी प्रतिस्पर्धा में खुद को बनाये रखने के मकसद से परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में साल-दर-साल विभिन्न प्रशिक्षणों और योजनाओं के माध्यम से बेहतरी के प्रयास किये जा रहे है। एक ओर जहाँ शिक्षण पर जोर दिया जा रहा है तो वहीं बच्चों को तमाम सुविधायें भी मुहैया कराई जा रही है। बावजूद इसके अपेक्षानुरूप परिणाम सामने नहीं आ रहे है। हम बात कर रहे है बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की वार्षिक परीक्षाओं की। जनपद में संचालित 1049 परिषदीय प्राथमिक और 492 उच्च प्राथमिक विद्यालयों की परीक्षायें 18 मार्च से शुरू हो गई है। परीक्षा के लिये मॉडल प्रश्रन् पत्र तैयार करने के लिये सम्बन्धित विषय के सह-समन्वयक को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके द्वारा तैयार किये गये मॉडल प्रश्न-पत्रों को हरी झण्डी मिलने के बाद प्रिण्ट करवा कर स्कूलों तक पहुँचा दिया गया। सोमवार को सुबह 9.30 से 11.30 बजे की पाली में भी परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें बड़ी लापरवाही उजागर हो गई। दरअसल, 20 मार्च को कक्षा 2 और 3 का गणित का प्रश्न-पत्र था, लिहाजा बच्चों को निर्धारित प्रश्न-पत्रों का वितरण किया जाना चाहिये था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गुरुजनों ने विद्यालयों में पहुँचे कक्षावार लिफाफों को बगैर जाँचे-परखे कक्षा 2 और 3 के बच्चों को गणित का एक समान प्रश्रन्-पत्र वितरित कर दिये।
दोनों प्रश्रन् पत्रों के ऊपर तो कक्षा 2 और कक्षा 3 स्पष्ट लिखा हुआ था, लेकिन प्रश्न-पत्र एक जैसे ही थे। कई विद्यालयों में तो शिक्षकों को भी भनक नहीं लगी कि प्रश्रन् पत्र एक समान है। वह तो प्रश्रन्-पत्र वितरण करने के बाद जिम्मेदारी से निवृत्त होते नजर आये, लेकिन जब कुछ होशियार बच्चों न उन्हे इस बात की जानकारी दी कि दोनों कक्षाओं के प्रश्रन्-पत्र ऐसे जैसे हैं तो उनके भी होश उड़ गये, लेकिन ज्यादा बखेड़ा खड़ा न हो तो उन्होंने कुछ कहना उचित नहीं समझा। इधर, नगर क्षेत्र के सह-समन्वयक संजय श्रीवास्तव परीक्षओं का जायजा ले रहे थे। इस दौरान वह प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुरा पहुँचे तो उन्हे भी इस समस्या से अवगत कराया गया। उन्होंने दोनों प्रश्रन्-पत्रों का मिलान किया तो पाया कि दोनों प्रश्रन् पत्रों के सवाल एक जैसे ही है। ऐसी स्थिति नगर क्षेत्र के विद्यालयों में ही नहीं कमोबेश हर विकासखण्ड में रही। विकासखण्ड जखौरा में भी दो विद्यालयों में एक समान प्रश्रन्-पत्र वितरण की सूचना खण्ड शिक्षा अधिकारी को दी गई। कमोवेश ऐसी ही स्थिति अन्य विकासखण्ड में भी हो सकती है। हालाँकि खण्ड शिक्षा अधिकारी बिरधा एनएल शर्मा का कहना है कि उन्हे इस प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली।
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सह-समन्वयकों ने तैयार किये मॉडल प्रश्न-पत्र
परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की वार्षिक परीक्षा के लिये मॉडल प्रश्रन्-पत्र तैयार करने का जिम्मा सह-समन्वयकों को सौंपा गया था। उनके द्वारा तैयार किये गये मॉडल प्रश्रन्-पत्रों को हरी झण्डी मिलने के बाद ही प्रिण्ट करवाये जाने की व्यवस्था की गई। अब सवाल उठते हैं कि कक्षा 2 और 3 में गणित विषय का जो प्रश्रन्-पत्र वितरित किया गया वह सह-समन्वयकों द्वारा तैयार किया गया था या कहीं और जगह से व्यवस्था की गई।
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हैरान करने वाले है अफसरों के बयान
सोमवार को कक्षा 2 और 3 के गणित विषय के प्रश्रन्-पत्र एक समान बाँटे जाने के मामले में खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने बयान भी हैरान करने वाले है। खण्ड शिक्षा अधिकारी जखौरा हृदय शकर लाल श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हे प्राथमिक विद्यालय टपरियन और बीघा महावत के शिक्षकों ने कक्षा 2 और 3 का गणित का प्रश्रन्-पत्र एक समान होने की बात कही। इस पर कक्षा 2 का प्रश्रन् पत्र स्थानीय स्तर पर ठीक करा दिया गया। वहीं खण्ड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र आभा अग्रवाल का कहना है कि जो प्रश्रन्-पत्र मिले थे वही वितरित करवा दिये। किसी भी शिक्षक ने एक समान प्रश्रन्-पत्र वितरण की सूचना नहीं दी। वहीं, खण्ड शिक्षा अधिकारी बिरधा एनएल शर्मा का कहना है कि उन्हे किसी भी शिक्षक ने एक जैसे प्रश्रन्-पत्र के बारे में अवगत नहीं कराया। अब सवाल उठता है कि जब पेपर एक साथ प्रिण्ट करवाये गये तो फिर ऐसी स्थिति कैसे निर्मित हो गई?
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परीक्षाओं का नहीं लिया जा रहा जायजा
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की परीक्षायें भगवान भरोसे संचालित हो रही है। शिक्षकों के जो प्रश्रन्-पत्र दिये जा रहे है, उन्हे बगैर देखे ही वितरण करवा दिया जा रहा है। कम से कम नगर क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में तो ऐसा ही हुआ, क्योंकि शिक्षकों को भी इस बात की भनक नहीं लगी कि गणित का जो प्रश्रन्-पत्र उन्होंने कक्षा 2 के बच्चों को दिया है वह कक्षा 3 का है। जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा सचल दल भी परीक्षा का जायजा नहीं ले रहे है। यदि निरीक्षण किये जाते तो कई सारी समस्याओं का समाधान भी हो जाता।
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कक्षा 8 में एक सवाल दो बार पूछा गया
कक्षा 2 में ही गणित का प्रश्रन् पत्र गलत वितरण नहीं किया गया, बल्कि कक्षा 8 में भी प्रश्रन् पत्र में गड़बड़ी देखी गई। सोमवार को कक्षा 8 का गणित का प्रश्रन् पत्र था। इसमें एक सवाल को दो बार हल करने के लिये कहा गया। वहीं कक्षा 5 हिन्दी के प्रश्रन् पत्र में त्रुटि की सूचना है। अब सवाल उठता है कि आखिर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है और इसके लिये जिम्मेदार कौन है?