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जागरूकता से बचेगा गौरैया का अस्तित्व : डी.एम.

ललितपुर ब्यूरो :हमारे घर-आँगन को महकाने वाली घरेलू चिड़िया गौरैया की सुरक्षा और संरक्षण के लिये प्रत्

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 12:52 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 12:52 AM (IST)
जागरूकता से बचेगा गौरैया का अस्तित्व : डी.एम.
जागरूकता से बचेगा गौरैया का अस्तित्व : डी.एम.

ललितपुर ब्यूरो :हमारे घर-आँगन को महकाने वाली घरेलू चिड़िया गौरैया की सुरक्षा और संरक्षण के लिये प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी विश्व गौरैया दिवस धूमधाम से मनाया गया। वन विभाग व स्वयंसेवी संस्था मानव ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय वर्णी चौराहे पर भव्य कार्यक्त्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मौजूद अफसरों व लोगों को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिये लकड़ी मिट्टी व पुट्ठे के घोसलें वितरित किये गये साथ ही पौलीथिन का प्रयोग रोकने के लिये कपड़े के थैले भी बाटे गये। इस मौके पर प्रदर्शनी भी लगायी गयी।

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सर्वप्रथम मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ.रूपेश कुमार ने फीता काटकर कार्यक्रम व प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया। प्रदर्शनी में विभिन्न विद्यालयों के बच्चों द्वारा बनायी गयी आकर्षक पेटिंग सजायी गयी थी। प्रदर्शनी देखने के लिये लोगों की भारी भीड़ उमड़ पडी थी। इस मौके पर जिलाधिकारी डॉ. रूपेश कुमार ने कहा कि कुछ वर्षो तक हमारे घर आगन में गौरैया चिड़िया खूब देखी जाती थी लेकिन धीरे-धीरे खपरैल घर की जगह सीमेंट के मकान बनते चले गये जिससे इनके प्राकृतिक आवास नष्ट हो गये। मोबाइल टावरों से निकलने वाली किरणों से भी इनकी प्रजनन क्षमता पर असर हुआ है। इस पक्षी की सुरक्षा व संरक्षण के लिये हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा तभी इसे बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से गौरैया संरक्षण के लिए वन विभाग और मानव ऑर्गनाइजेशन संगठन आगे आये है, उसी तरह आम लोगों को भी आगे आकर इस चिड़िया के अस्तित्व को बचाना होगा।

अध्यक्षता कर रहे प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी (डीएफ ओ) वीके जैन ने कहा कि गौरैया की सुरक्षा और संरक्षण हम सभी का क‌र्त्तव्य है। लोग अपने घर-ऑगन व छत पर छाया में चावल के दाने डालें व मिट्टी के वर्तन में पानी रखें। साथ ही घोसले लगाकर उनकी देखभाल करें। इससे हम इस विलुप्त होती जा रही चिड़िया को बचा पायेगें। अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि पक्षियों में गौरैया का विशेष स्थान है। इस नन्हीं चिड़िया को बचाने के लिये हम सबको प्रयास करने होगें। मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण कुमार लक्ष्यकार ने कहा कि सदियों से इंसान का गौरैया से करीबी रिश्ता रहा है। यही वजह है कि इसे घरेलू चिड़िया भी कहा जाता है। वरिष्ठ पत्रकार, सुरेन्द्र नारायण शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक आवास नष्ट होने व लोगों की अपेक्षा से शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से भी यह चिड़िया धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है जो चिंता का विषय है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो बुजुर्ग रो रहे बच्चों को आँगन में फुदकने वाली गौरैया को दिखाकर चुप कराते थे। प्रोफेसर भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि मनुष्य का पक्षी जगत के प्रति प्रारम्भ से ही आत्मीयता पूर्ण दृष्टिकोण रहा है। इसी सुप्तभाव को जागकर सक्रिय करना ही इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।

इस मौके पर परियोजना निदेशक सुरेशचन्द्र मिश्रा, उप प्रभागीय वनाधिकारी ललितपुर आर.के. त्रिपाठी, जिला सूचना अधिकारी चन्द्रचूड़ दुबे, प्रदीप चौबे, संतोष शर्मा, डॉ.संजीव बजाज, नेमीचन्द्र जैन, सुधाशु गौतम, बृजेन्द्र सिंह चौहान, सुबोध शर्मा, फिरोज इकबाल, अज्जू बाबा, विध्यं सृजन सेवा समिति अध्यक्ष राजेश पाठक, स्वंत्रत व्यास एड., दीपक चौबे, लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा, सी.पी. सैनी, गौरव डयोडिया, ऋषि हीरानदानी, शेर सिंह यादव, देवेन्द्र सिंह यादव, कमलापति त्रिपाठी, अनूप कुमार, हृदेश श्रीवास्तव, शफीक खा, सुधाकर तिवारी, विनोद त्रिपाठी, कन्हैया नामदेव, हरदयाल सिंह लोधी, राहुल किशोर, प्रसन्न दुबे, कमलेश जैन, रीता जैन, अर्चना अग्रवाल, डॉ रिजू दुबे, निधि जैन, कुसुमलता सैनी आदि मौजूद रहे।

संचालन डॉ राजीव निरंजन ने किया। अन्त में मानव ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने सभी का आभार जताया।

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ललितपुर: बच्चों द्वारा बनायी गयी पेण्टिग।

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नन्हे हाथों की पेण्टिग ने किया आकर्षित

स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा प्रदर्शनी में मनमोहक पेंटिग व स्कैच बनाये गये थे। किसी पेंटिग में गौरेया अपने घोसले में बैठी थी तो किसी में पेंसिल से बनाये गये चित्र के माध्यम से गौरैया की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा था। मौके पर स्काउड गाईड के बच्चे प्रदर्शनी में लगी पेंटिग के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे थे, जो आकर्षण का केन्द्र रहा। कुल मिलाकर नन्हे हाथों की पेंटिग ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

गीत और कहानियों में भी है गौरैया-

नन्हीं चिड़िया गौरैया वर्षाे से गीत, कहानियाँ और कविताओं में भी है। 'चूँ-चूँ करती आयी चिड़िया, दाल का दाना लायी चिड़िया' व 'राम की चिड़िया राम का खेत, खा लो चिड़ियाँ भर-भर पेट' आदि कवितायें गौरैया पर ही लिखी गयी हैं, जो खूब लोकप्रिय भी है।

इन संगठनों का भी रहा सहयोग-

गौरैया बचाओ अभियान में विंध्य सृजन सेवा समिति, करूणा इण्टर नेशनल, ललितपुर जागरूकता अभियान, मुक्ति, इन्टेक, अन्नपूर्णा, स्वच्छ ललितपुर सुन्दर ललितपुर, ललितपुर जागरूकता अभियान, वर्ड सेवर ग्रुप समेत अनेक संगठनों ने सहयोग कर भागीदारी जतायी।

'आप' ने भी मनाया गौरैया दिवस-

ललितपुर: आम आदमी पार्टी की गोष्ठी हरदयाल सिंह राजपूत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि आज गौरैया के अस्तित्व पर संकट मण्डरा रहा है। हमारे घर आँगन में दिखने वाली यह चिड़िया कहाँ गयी? क्यों गयी? यह आम आदमी के लिए पहेली सी बन गयी है। आज इस चिड़िया की कमी से घर आँगन सूना-सूना सा लगता है। डेढ़ दशक पहले तक सार्वजनिक स्थानों पर गौरैया के झुण्ड के झुण्ड दिखते थे, लेकिन आज यह विलुप्त होती जा रही है। इसका अस्तित्व बचाने के लिए लोगों को आगे आना होगा। घोंसले लगाकर इनके बच्चों व अण्डों की सुरक्षा करनी होगी। इस मौके पर बृजबिहारी उपाध्याय, राजेश, संजय जैन, अनिल आदि मौजूद रहे। संचालन सुनील गोल्डी ने किया।

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भीड़ से हो गयी थी अव्यवस्था

कार्यक्रम में लोगों की भीड़ से कुछ देर के लिए अव्यवस्था भी हो गयी थी, जिससे परेशानी भी हुई। हालाँकि आयोजकों का कहना है कि अगले वर्ष इस कार्यक्रम को तुवन मैदान में गौरैया मेला के रूप में आयोजित किया जायेगा।


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