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हादसों का सबब बना जर्जर व खस्ताहाल पुल

नाराहट/ ललितपुर : कस्बा नाराहट से राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने वाले मार्ग पर बड़ा नाला का जर्जर व खस्त

By Edited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 12:56 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2016 12:56 AM (IST)
हादसों का सबब बना जर्जर व खस्ताहाल पुल

नाराहट/ ललितपुर : कस्बा नाराहट से राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने वाले मार्ग पर बड़ा नाला का जर्जर व खस्ताहाल पुल हादसों का सबब बना हुआ है। बरसात के मौसम में मध्य प्रदेश के पहाड़ों का पानी इस नाले में आ जाने से यह पुल डूब जाता है, जिससे कई दिनों तक आवागमन बाधित रहता है। यही नहीं हमेशा हादसे की आशका तो बनी ही रहती है। इस पुल की ऊँचाई भी मात्र 4 फीट है। यही बड़ा नाला नाराहट-महरौनी मार्ग पर भी मिलता है, ऐसे में यहाँ से भी आवागमन ठप हो जाता है।

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आजादी के बाद से ही कस्बा नाराहट के वाशिदे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्यायें यहाँ मुँह बाँये खड़ी हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद इन समस्याओं का निस्तारण न होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में कस्बा नाराहट से राष्ट्रीय राजमार्ग गौना को जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित बड़ा नाला का पुल क्षेत्र के लोगों की मुसीबत का सबब बना हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग गौना से महरौनी तक सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हुआ था। यह मार्ग एक वर्ष में ही उखड़ गया था। जगह-जगह एक दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी पुलिया व पुल है, इनकी ऊँचाई बढ़ायी जानी थी, लेकिन जिम्मेदारों की उपेक्षा भारी पड़ रही है। बताया जाता है कि नाराहट से राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच बड़ा नाला का पुल है, जो इस समय जर्जर व खस्ताहाल है। इस पुल में जगह-जगह दरारे आ गयी है व दोनों तरफ कटाव हो गया है। इस पुल की ऊँचाई मात्र 4 फीट है, जिससे बरसात के मौसम में जरा सी बारिश होने पर अक्सर पुल पर पानी आ जाता है और आवागमन ठप हो जाता है। पुल पर दोनों ओर बड़े-बड़े गड्ढे हो जाने से हमेशा हादसे की आशका बनी रहती है। राष्ट्रीय राजमार्ग से मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जाने के लिए यह रास्ता कम दूरी का है। 50 किलोमीटर की दूरी तय कर यात्री हाइवे से टीकमगढ़ आसानी से पहुच जाते है। अधिकाँशत: वाहन इसी मार्ग से होकर जाते है। अमझरा घाटी हनुमान मन्दिर होने के कारण मंगलवार व शनिवार को इसी मार्ग से होकर सैकड़ों श्रद्धालु मन्दिर जाते है, लेकिन खराब रास्ता उनकी यात्रा को कष्टकारी बना रहता है। ग्रामीणों ने इस पुल को ऊँचाई बनाये जाने की माँग की।

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आखिर कब आयेंगे नाराहट के अच्छे दिन?

शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा तथा उदासीनता का दंश झेल रहे नाराहट क्षेत्र के लोग विकास से कोसों दूर है। तहसील का दर्जा न दिये जाने के बाद अब ब्लॉक बनवाये जाने में भी हीलाहवाली की जा रही है।


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