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मगरमच्छ संरक्षण की कवायद शुरू

ललितपुर ब्यूरो : झाँसी मण्डल के वन संरक्षक देवेन्द्र कुमार के निर्देश पर जनपद में बड़े पैमाने पर पाये

By Edited By: Published: Tue, 21 Jun 2016 01:33 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2016 01:33 AM (IST)
मगरमच्छ संरक्षण की कवायद शुरू

ललितपुर ब्यूरो : झाँसी मण्डल के वन संरक्षक देवेन्द्र कुमार के निर्देश पर जनपद में बड़े पैमाने पर पाये जाने वाले मगरमच्छों की सुरक्षा और संरक्षण की कवायद शुरू हो गयी है। वन्य जीव विशेषज्ञ जफर अली बारसी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने माताटीला बाध के भराव क्षेत्र में स्थित मगरदहा व आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण किया। साथ ही मगरमच्छों के अण्डे भी तलाशे। इस दौरान मगरमच्छों द्वारा अण्डे देने के लिये खोदे गये 17 गड्ढे पाये गये।

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गौरतलब है कि जनपद में बड़े पैमाने पर मगरमच्छ पाये जाते है। यूँ तो राजघाट बाँध, माताटीला बाँध, गोविंद सागर बाँध, रोहणी बाँध, शहजाद बाँध, जामनी बाँध, सजनाम बाँध के साथ साथ शहजाद नदी, सजनाम, जामनी, खैड़र नदी, सौंर, नारायणी, धसान व स्थानीय छोटी बड़ी नदियों तालाबों में भी मगरमच्छ पाये जाते है। बेतवा नदी मगरमच्छों की जननी कही जाती है। इस नदी में सैकड़ों की संख्या में विशालकाय मगरमच्छ हैं। जो जब तब पानी से बाहर आकर मौजूदगी का अहसास कराते है। रणछोर धाम मंदिर के सामने, माताटीला बाँध स्थित मगरदहा आदि स्थानों पर बेतवा नदी में आसानी से मगरमच्छ देखे जा सकते है। विशालकाय चट्टान पर धूप सेंक रहे मगरमच्छ प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। मगरमच्छों की इतनी बड़ी संख्या के कारण प्रकृति व वन्य जीव प्रेमी खासे प्रसन्न नजर आते है। समय-समय पर दैनिक जागरण ने नदी, तालाब व बाँध से बाहर निकलकर अक्सर सड़कों पर आ जाने वाले मगरमच्छों की खबर प्रकाशित की है। इनको वन विभाग की टीम ने सुरक्षित पकड़कर बाँध में छोड़ा है। मगरमच्छों की अच्छी खासी तादात के कारण शिकारी भी सक्रिय हुये है। मगरमच्छों की सुरक्षा व संरक्षण की भी माँग उठती रही है। इसी क्रम में झासी मण्डल के वन संरक्षक देवेन्द्र कुमार मगरमच्छों की मौजूदगी से खासे प्रभावित है। उनके निर्देश पर अब मगरमच्छों की सुरक्षा व संरक्षण की कवायद शुरू कर दी गयी है। इसके तहत वन्य जीव विशेषज्ञ जफर अली बारसी के नेतृत्व में वन विभाग के फोटो विशेषज्ञ देवेन्द्र यादव व अन्य कर्मियों की टीम ने माताटीला स्थित मगरदहा के आसपास मगरमच्छों के स्थलों का भ्रमण किया। चूँकि जून-जुलाई का माह प्रजनन काल होता है। ऐसे में इनके अण्डे भी तलाशे गये। इस दौरान मगरदहा के आस पास बेतवा नदी के किनारे ऐसे 17 गडढे पाये गये जिन्हे अण्डे देने के लिये मगरमच्छों ने खोदा था। इन स्थानों को चिह्नित किया गया। माताटीला बाँध के भराव क्षेत्र में बेतवा नदी के किनारे 6-7 किलोमीटर के इलाके में खोजबीन की गयी। इस दौरान यह भी देखा गया कि मगरमच्छ किस तरह उन्नति कर रहे है। सुरक्षा व संरक्षण के तहत उठाये जा रहे इस प्रयास के तहत वन विभाग की टीम द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी डीएफओ बीके जैन को सौंपी जायेगी। इसके बाद आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।

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इनका कहना है

वन्य जीव विशेषज्ञ की देखरेख में वनकर्मियों की टीम मगरमच्छों के सम्भावित स्थलों की खोज कर रही है। साथ ही मगरमच्छों की हर गतिविधि का भी अध्ययन किया जा रहा है। मगरमच्छ की सुरक्षा व संरक्षण के लिये प्रयास किये जा रहे है।

बीके जैन

प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी डीएफओ ललितपुर।

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अण्डा देने से पूर्व गढ्डे खोदते हैं मगरमच्छ

प्रजनन काल में मादा मगरमच्छ अण्डे देने से पूर्व नदी व जलाशयों की नदी के किनारे रेतीली भूमि पर छोटे छोटे गढ्डे खोदती है। इसके बाद कुछ दिनों के लिये उन्हे खुला छोड़ दिया जाता है। इस दौरान यदि गढ्डों के आसपास कोई खतरा नही होता। तो फिर बाद में मादा उन गढ्डों में अण्डे देती है। साथ ही जब तक बच्चे बाहर नही आ जाते मादा गढ्डों की सुरक्षा भी करती है। बच्चों के एक माह दिन के हो जाने पर उथले पानी में मादा मगरमच्छ उन्हे प्रशिक्षित भी करती है।

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खतरनाक स्थानों पर लगेंगे साकेतिक बोर्ड

मगरदहा के अलावा ऐसे स्थान जहाँ मगरमच्छों की संख्या सर्वाधिक हैं। वहाँ सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग द्वारा साकेतिक बोर्ड भी लगायें जायेंगे, ताकि लोगों को खतरे के प्रति सचेत किया जा सके। इन स्थलों की सुरक्षा के भी इतजाम किये जायेंगे। इसके लिये आला अफसरों के निर्देश पर कार्ययोजना भी तैयार की जायेगी। माताटीला स्थित मगरदहा व रणछोर धाम के आस पास के स्थलों पर ऐसे बोर्ड लगाने की योजना है। रणछोर धाम पर बेतवा से निकले एक नाले में मगरमच्छ का बच्चा तो भैंसों की पीठ पर बैठा रहता है।


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