भाई-बहन के प्यार का पर्व आज
ललितपुर ब्यूरो प्यार, स्नेह एवं भाई बहन के रिश्ते की डोर को मजबूत करने का पर्व रक्षाबंधन आज पूरे ज
ललितपुर ब्यूरो
प्यार, स्नेह एवं भाई बहन के रिश्ते की डोर को मजबूत करने का पर्व रक्षाबंधन आज पूरे जनपद में श्रद्धा के मनाया जाएगा। इसको लेकर भाई-बहनों में जबरदस्त उत्साह का माहौल है। बहनें अपने भाई की कलाई पर स्नेह की डोर बाँध के लिए विभिन्न प्रकार की राखियाँ खरीदने में मशगूल है। साथ ही इसे लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम भी बना रही है। एक तरफ जहाँ तमाम बहनों में अपने भाई की कलाई पर प्रेम की डोर बाँधने को लेकर उत्साह है। रक्षाबंधन पर्व के मद्देनजर बाजारों में राखियों की दुकानें खूब सजी है। बच्चों को आकर्षित करने वाली खास वैराइटियाँ आई है, जबकि बड़े-बुजुर्ग धागों और डोरियो पर जोर दे रहे हैँ। दूसरी तरफ रक्षाबंधन पर मुंह मीठा कराने के लिए मिठाई की दुकानें भी खूब सजने लगी है। पर्व को लेकर बाजार में काफी रौनक देखी गयी। सड़क किनारे तख्त और टेट लगाकर दुकानें सजाई गई है। देर रात तक खुली रहने वाली इन दुकानों में काफी भीड़ उमड़ी। बाजार में हर प्रकार की राखियाँ उपलब्ध है, ताकि व्यक्ति अपनी जरूरत के मुताबिक उन्हे खरीद सके। महगाई का असर तो राखियों के दाम पर भी है, लेकिन बिक्री पर कोई असर नहीं हुआ है।
रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर युवतियाँ अपनी सहेलियों या फिर अभिभावकों के साथ जोर-शोर से राखी खरीदती दिखाई दीं। शुभाँगी चौधरी ने कहा कि वह प्रत्येक वर्ष अपने भाई को राखी बाँधती है और बदले में उससे अच्छा उपहार लेती है। शालिनी जैन ने बताया कि वह पूरी सादगी के साथ अपनी भाई को राखी बाँधती है। एक धर्मभाई बाहर रहते है, सो उन्हे आज ही कोरियर कर दिया है। छात्रा प्रीति चौबे ने कहा कि वैसे तो उनका कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन वह अपने मामा व चाचा के लड़कों को प्रत्येक वर्ष राखी भेजती है। राखी पर्व को लेकर एक तरफ जहाँ तमाम बहनों में उत्साह व खुशी है, वहीं कुछ ऐसे भाई-बहिन भी है, जिनके लिए यह पर्व कोई महत्व नहीं रखता।
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क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन पर्व
ललितपुर : रक्षाबंधन दूसरे की रक्षा करने के साथ-साथ आत्मरक्षा करने की प्रेरणा भी देता है। यही कारण है कि इसे महाभय को दूर करने वाला विष तोड़क पर्व भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार यम को उसकी बहन इंद्राणी ने रक्षा सूत्र बाधा था, जो आगे जाकर परपरा बन गई। इसलिए कहा जा सकता है कि राखी सिर्फ हिन्दुओं का त्यौहार न होकर सभी मजहबों व धर्माें में भाई व बहन के प्यार के अटूट बंधन को निभाने वाला पर्व है, परम्परा है। जब मध्यकालीन युग राजपूतों एवं मुस्लिमों के बीच युद्ध चल रहा था। रानी कर्मवती चित्तौड़ के राजा की विधवा थी। गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी कर्मवती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी और रक्षा का वचन लिया। हुमायूँ ने भी रानी के द्वारा भेजी गई राखी की लाज रखते हुए उनकी रक्षा कर उन्हे मुंहबोली बहन का दर्जा दिया। एक अन्य कथानक के अनुसार युद्ध के दौरान जब शिशुपाल कृष्ण के हाथों मारा जाता है, तो कृष्ण के बाएँ हाथ की अंगुली से खून बहता देख द्रोपदी बेहद दुखी होती है और वह अपने साड़ी के पल्लू को फाड़ कर कृष्ण के अंगुली में बाँध देती है तभी कृष्ण द्रोपती को अपनी बहन मान लेते है, और भरी सभा में जब द्रोपदी का चीरहरण होता है, तब कृष्ण अपने भ्रातधर्म का मान रखते हुए उसकी लाज बचाते है।
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किसको बाँधे राखी
ललितपुर : राखी कच्चे सूत्र के अलावा रगीन कलावा, रेशमी धागा और सोने-चाँदी जैसी महगी बस्तु भी हो सकती है। सामान्यत: राखी बहनें भाई को बाँधती है। परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों जैसे बेटी पिता को राखी बाँधती है। सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। प्रकृति के संरक्षण के लिए वृक्षों को भी राखी बाँधने की परम्परा है। आरएसएस के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिए एक दूसरे को भगवा राखी बाँधते है। जैन धर्मावलम्बियों को मन्दिरों में पुजारी, रक्षक या समाजश्रेष्ठियों द्वारा राखी बाँधे जाने की परम्परा है।
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दोपहर 1.44 बजे तक भद्र, उसके बाद बाँधें राखी
ललितपुर : श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर दूसरी बेला एक बजकर 44 मिनट तक भद्रा पक्ष की वजह से दोपहर बाद ही भाइयों की कलाईयों पर राखिया सज सकेंगी। भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से है। इस कारण इस वर्ष भी रक्षाबंधन पर्व पर 29 अगस्त को दोपहर तक भद्रा का साया है। वैदिकाचार्य बताते हैं कि भद्रा पक्ष में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। बताते हैं कि 28 अगस्त की रात दो बजकर 48 मिनट पर पूर्णिमा के साथ भद्रा पक्ष लगेगी, जो 29 अगस्त एक बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इसके पश्चात रात 12 बजकर 39 मिनट तक रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। बहनें इस दौरान भाइयों की कलाइयों पर रक्षाबंधन बाध सकेंगी। वहीं पंडित बताते हैं कि 28 अगस्त की रात दो बजकर 48 मिनट से 29 अगस्त की रात 12 बजकर 39 मिनट पर पूर्णिमा रहेगी। इस कारण ऋग्वेद को मानने वाले 28 अगस्त को श्रावणी उपाकर्म मना सकते हैं।
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रक्षाबंधन का श्लोक मंत्र-
'येन बद्धो बलिराजा दानवेंद्रो महाबल:
तेन त्वाभिबद्भनामि रक्षे मा चल मा चला।'
रक्षासूत्र बाँधते समय आचार्य एक श्लोक का उच्चारण करते है। इसमें रक्षाबंधन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबंधन का भी अभीष्ट मंत्र है। श्लोक में कहा गया है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेंद्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हे बाँधता हू। जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
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कैसे मनाये रक्षाबंधन
ललितपुर : प्रात: शुभ मुहूर्त में लड़कियाँ पूजा की थाली सजाती है। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, कुमकुम, चावल, दीपक मिठाई होती है। भाई तैयार होकर पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे। पहले अभीष्ट देवता की पूजा करे। इसके बाद बहनें भाई को कुमकुम, हल्दी, अक्षत का टीका करके सिर पर चावल छिड़कती है। बहनें उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भाई की आरती उतारती है। इसके बाद दाहिने हाथ की कलाई में रक्षा सूत्र बाँध करके भगवान से पूर्ण रक्षा की कामना करती है। भाई बहन को उपहार पैसे आदि देकर इस बन्धन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट है। साथ ही उम्रभर रक्षा का वचन देता है।
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फेसबुक व व्हाट्स-एप पर छाया रक्षाबन्धन
ललितपुर : दूर रह रहे परिजनों के साथ पर्व की खुशियाँ साझा करने के लिए युवा वर्ग ने फेसबुक व व्हाट्स-एप का सहारा लिया है। उन्होंने आकर्षक अन्दाज में मैसेज कर उन्हे रक्षाबंधन की शुभकामनाएं प्रेषित की। यही नहीं पर्व के दौरान ऑन-लाइन रहकर परिजनों के साथ खुशी मनाने के लिए योजनाएं बनाई गई है। इसके अलावा सोशल साइड पर भेजे जा रहे सन्देशों में जहाँ युवकों को बहनों की रक्षा, सम्मान व इच्चत करने के लिए जागरुक किया जा रहा है, तो ऑनलाइन राखियों की भी बुकिंग हो रही है।
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राखियों पर चढ़ा राजनीतिक रग
ललितपुर : शहर के बाजारों में राखियों की दुकानें सज रही है। दूर रह रहे भाइयों को भेजने के लिए बहनें राखियाँ खरीद रहीं है। कई बहनें भीड़भाड़ से बचने के लिए पहले से राखियाँ रही है। इससे बारिश के मौसम में सूने पड़े बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है। इस बार भी चाइनीज राखियों का बाजार पर दबदबा है। बड़ों से लेकर छोटे बच्चों तक की पसंद के लिए तमाम प्रकार की राखिया दुकानों पर उपलब्ध हैं। पंचायत चुनाव नजदीक हैं तो प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के फोटो लगे रखियों का क्त्रेज भाजपा समर्थकों में कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। इनके अलावा सपा का चुनाव चिह्न साइकिल, बसपा का हाथी और भाजपा का कमल और तिरंगा लगी राखिया बाजार में हैं। बच्चों के लिए राखियों पर छोटा भीम, डोरो मोन लगे हैं।
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ललितपुर : स्कूल में भाइयों को राखी बाँधती बहनें।
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स्कूलों में मनाया गया रक्षाबन्धन पर्व
ललितपुर: सिद्धि सागर अकादमी में रक्षाबन्धन पर्व पर एक समारोह का आयोजन किया गया। सहपाठी छात्राओं ने छात्रों की कलाईयों पर राखियाँ बाँधी। आकर्षक राखियाँ बनाये जाने की प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इस दौरान विद्यालय की डायरेक्टर रीता जैन ने बच्चों को रक्षाबन्धन के त्यौहार के महत्व को समझाया। वहीं, महेशपुरा स्थित गिरिराज इण्टर कॉलेज में भी रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। बच्चों ने एक दूसरे को राखियाँ बाँधकर दीर्घायु की कामना की। प्रधानाचार्य प्रीतम सिंह राजपूत ने आल्हा और सेहरा गाकर पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला। इस मौके पर राजेश कुमार चौबे, दीपक जैन, पवन जैन, आशीष कुमार, जगतराज, प्रदीप, कमलेश, अग्रज, मुकेश, कन्हैया, संजय, ईश्वरदास, मनोज, रघुवीर, सत्यप्रकाश, दिनेश, सुमीत, सचिन, अनुराग, मंजूबाला, कविता, अंकिता, रचना आदि उपस्थित रहे।
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रक्षा बंधन पर घर पहुंचने की बेताबी
ललितपुर : रक्षाबंधन पर्व के मद्देनजर एक दिन पूर्व बस व रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ काफी देखी गयी। पर्व के ऐन मौके पर अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए लोगों में खासी बेताबी है। हालात यह है कि अनारक्षित व आरक्षित यात्रा करने की होड़ है। जिसके चलते बुकिंग विंडों में गहगागहमी दिखाई दी। दिल्ली व भोपाल रूट पर फर्राटा भरने वाली ट्रेनों में दिनभर भीड़ रही। रेलवे स्टेशन और बस स्टेण्ड पर बाहर शहर से आने-जाने वाले भाईयों-बहनों की काफी संख्या में भीड़ देखी गयी। इस दौरान नगर में टैक्सियों से भी भीड़ काफी आती-जाती रही। रेलवे स्टेशन पर गन्तव्य स्थान तक जाने के लिए लोगों में टिकिट को लेकर मारामारी मची रही। झाँसी व अन्य रूटों पर बसों की भी किल्लत रही। यही स्थिति बस स्टैण्ड पर रही। ललितपुर से अन्य जिलों व ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जाने वाले यात्रियों की भीड़ बस स्टैण्ड पर दिखाई दी। यहाँ बसों में खासी भीड़ देखी गयी। स्थिति यह रही कि जिसे सीट मिल गयी, वह तो ठीक अन्यथा लोगों ने बसों की छप्परों पर सवार होकर यात्रा करना पड़ी। जिसके चलते बस मालिकों ने खूब चाँदी काटी।
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साइड स्टोरी..
खून से सने हाथों पर भी सजेगा बहन का प्यार
आज जेल में भी कैदियों को राखी बाँध सकेंगी बहनें
जिला कारागार मे किये गये विशेष प्रबन्ध
ललितपुर ब्यूरो
'मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन, तेरे बदले में जमाने की कोई चीज न लूँ' उपरोक्त पक्तियाँ भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के प्रतीक माने जाने वाले रक्षाबन्धन के पर्व पर सटीक बैठती हैं। प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर बहने जिला कारागार में निरुद्ध अपने भाईयों की कलाई पर राखी बाँध सकेंगी। इस मौके पर जेल में विशेष प्रबन्ध किये गये हैं।
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाला रक्षाबन्धन पर्व का अपना अलग ही महत्व है। धागों के इस पर्व को लेकर जहाँ बहनों में खासा उत्साह देखा जाता है। तो वहीं भाई भी बहनों के पवित्र प्रेम को अपनी कलाई पर बन्धवाने के लिये हर दूरी तय कर बहनों के पास पहुच जाते हैं। आज रक्षाबन्धन का पावन पर्व है। इस मौके पर जेल प्रशासन भाई-बहन के बीच कोई बाधा बनना नहीं चाहता है। इसके तहत बहनें जिला कारागार में निरुद्ध अपने भाईयों की कलाई पर पवित्र राखी बाध सकेंगी। इसके लिये जेल प्रशासन ने विशेष प्रबन्ध किये हैं। बहने नारियल व काफी कम मात्रा में मिठाई व राखी के अलावा फल, सूखे मेवे आदि भी अन्दर ले जा सकती हैं। ऐसी वस्तुएं पूर्णत: प्रतिबन्धित रहेगी जिनमें मिलावट की सम्भावना रहती है। बहनों के साथ आने वाले बच्चों की भी सघन तलाशी ली जायेगी। जेलर ने बताया कि इस दिन प्रयास यह किया जायेगा कि किसी भी बहन को राखी बाधने से निराश न किया जाये। इसके बावजूद भी यदि तलाशी के दौरान किसी भी बहन या उसके पुत्र के पास से नजायज वस्तु पायी गयी तो उसकी मुलाकात निरस्त कर दी जायेगी। उन्होंने अपील की कि बहनें अपने साथ घर का बना खाना या कोई ऐसी वस्तु साथ में न लाये जिससे उन्हे परेशानी का सामना करना पड़े। स्पष्ट है कि आज इस पावन पर्व पर जेल में बन्द जो हाथ कभी खून से सने थे उन पर भी राखी सजेगी और भले कुछ ही देर के लिये क्यों न हो, ऐसे चेहरे भी खुशी से खिल उठेगे।
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