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फार्म गेहूँ : उतरे भावों से किसान मायूस

ललितपुर ब्यूरो : गेहूँ की फसल में हुये नुकसान के बावजूद उन्नत क्वालिटी के गेहूँ बोने वाले किसानों

By Edited By: Published: Sat, 30 May 2015 12:37 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 12:37 AM (IST)
फार्म गेहूँ : उतरे भावों से किसान मायूस

ललितपुर ब्यूरो :

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गेहूँ की फसल में हुये नुकसान के बावजूद उन्नत क्वालिटी के गेहूँ बोने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं हो सका। डब्ल्यू एच क्वालिटी का गेहूँ बोने वाले किसानों ने अपना गेहूँ पहले से बोया था। ओलावृष्टि व बारिश से उनक फसलें आड़ी हो गयी थीं जबकि फार्म 306 गेहूँ बोने वाले किसानों की फसलें किसी तरह बच गयीं। उन्नत क्वालिटी का गेहूँ बाजारों में आ रहा है, पर ऊँचे दाम मिलने की वजह से उनका घाटा कुछ कम हो गया है।

पिछले एक माह से फार्मी गेहूँ का आगमन गल्ला मण्डियों में बदस्तूर हो रहा है। किसानों ने इसके 2400 रुपये प्रति कुण्तल तक ऊँचे दाम हासिल किये है। ऐसा स्थानीय खपत की माँग की वजह से सम्भव हो सका है जबकि दिशावरी बाजारों में गेहूँ के दाम नीचे चल रहे है।

पिछले सप्ताह से फार्मी गेहूँ के दाम उतरकर 1700 रुपये प्रति कुण्तल के भाव पर आ गये है। ऐसी स्थिति में ऊँची क्वालिटी का गेहूँ बेचने वाले किसान साँसत में है। गर्मियों के सीजन में स्थानीय माँग अधिक रहती है। ऐसा प्रत्येक वर्ष होता है। अत: किसानों को चाहिये कि ऊँची क्वालिटी का गेहूँ अप्रैल व मई में अवश्य बेच लें। बारिश शुरू होने के बाद फार्मी गेहूँ के दाम हर वर्ष उतर जाते है।

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देश में रोटी बिना जीवन है अधूरा

ललितपुर: रबी की फसल में गेहूँ से किसानों को कोई खास फायदा नहीं मिलता, पर देश में रोटी के बिना जीवन अधूरा है। इसी वजह से बुन्देलखण्ड के किसान अपने खेत की कुछ जमीन पर गेहूँ अवश्य बोते है ताकि उन्हें साल भर को खाने के लिये रोटी मिल सके। गेहूँ की फसल में उनकी जमीन अतिक्रमित हो जाती है, जिससे ऊँची दाम वाली फसल के प्रति रकबे की मात्रा घट जाती है। पिछले तीन सालों से लगातार हो रहे नुकसान की वजह से बुन्देलखण्ड के किसान परम्परागत फसलों से मुँह मोड़ते नजर आ रहे है।


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