फोटो - 5 बहुत खूब : पीडब्लूडी की दुकानें तोड़कर बनाया रास्ता
ललितपुर : अब तो अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों की बाढ़ सी आ गयी है। शहर के मवेशी बाजा
ललितपुर : अब तो अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों की बाढ़ सी आ गयी है। शहर के मवेशी बाजार में पीडब्लूडी की जमीन पर दुकानें तोड़कर एक अवैध ग्रुप ने अपना लोहे का पर्दा लगा दिया है। इस पर लोक निर्माण विभाग ने सिर्फ नोटिस जारी कर अपनी पीठ थपथपा ली है। शहर में यह घटना चर्चा का विषय बन गयी है।
नगर में सागर रोड पर मवेशी बाजार में लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) की 6 दुकानें हैं। वर्ष 1981 में निजी व्यक्ति द्वारा पीडब्लूडी की सरकारी जमीन को अपना बताकर उस पर दुकानों का निर्माण करा लिया था। यह दुकानें फिर किराये पर देकर खूब कमाई की गयी। लोक निर्माण विभाग ने बाद में उक्त व्यक्ति के खिलाफ न्यायालय में वाद दर्ज कराया। न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश किया कि तत्काल इन दुकानों को गिरा दिया जाये। इस आदेश के बाद दुकान निर्माता ने यह दुकानें किरायेदार जाहिद खान, नईम, भैंरोलाल, साबिर, आसिफ व सुनील कुमार को बेच दीं। वर्ष 2011 में उक्त दुकानदारों ने अपना पैंतरा दिखाते हुये पीडब्लूडी के खिलाफ न्यायालय में वाद दर्ज करा दिया, ताकि मामले को विवादित बताया जा सके। अभी भी यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
सन् 2011 में विभाग द्वारा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहाँ मौके की नक्शा नजरी प्रस्तुत की गयी। इसी दौरान यहाँ समीप ही एक नयी कॉलनि के निर्माण के उद्देश्य से एक कम्पनि को प्रवेश मार्ग के लिए मौके की जगह की तलाश थी। अपनी लाखों रुपये की भूमि की कीमत को करोड़ों का करने के लिये उक्त कम्पनि द्वारा लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) जमीन पर बनी सिर्फ दो दुकानों और जीना को तोड़कर अस्थाई गेट लगाकर कब्जा कर लिया गया। जब इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी गयी तो देर-सवेर मौके पर सहायक अभियन्ता पहुँच गये। उन्होंने कॉलनि निर्माणकर्ता को नोटिस जारी कर इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दे दी, पर लोकनिर्माण विभाग द्वारा पुलिस को जारी पत्र में अपनी सम्पत्ति क्षति पहुँचाने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिये कुछ नहीं कहा गया। कोतवाली पुलिस को दिये पत्र में सरकारी सम्पत्ति पर अवैध कब्जा रोकने की शिकायत भर की गयी है। हाल ही में हुए कानूनी संशोधन के तहत पुलिस ने अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार का मुकदमा दर्ज नहीं किया, जबकि उन्हे सरकारी सम्पत्ति पर अवैध कब्जा करने के सम्बन्ध में कब्जाधारी के खिलाफ धारा 441 व 447 के तहत मामला पंजीकृत कर लेना चाहिए था। प्रशासन व पुलिस के इसी रवैये के कारण निरन्तर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो रहे है। इस अवैध कब्जे पर रास्ता बनाने के अलावा विभागीय भूमि पर अन्दर भी बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। अन्दर सरकारी कब्जा बताने वाली लोक निर्माण विभाग की 600 फीट लम्बी 5 फीट ऊँची खण्डों की लाखों रुपये कीमत की दो फीट मोटी दीवार बनी थी। यहाँ दीवार को बड़े पैमाने पर मिट्टी का पुराव कर गायब कर दिया गया है। और तो और गायब दीवार के ऊपर ही रास्ता बना दिया गया है। यदि जरा भी अनदेखी की गयी तो यहाँ लाखों नहीं, करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे करने की तैयारी है। विभाग इन कब्जों को हटाने के बजाय अवैध कब्जाधारियों के साथ लिखा पढ़ी की इतनी लम्बी पत्रावली के माध्यम से कार्यवाही करता है कि कब्जाधारी का अवैध कब्जा लगातार बरकरार बना रहता है। अब देखना यह है कि लोक निर्माण विभाग इस मामले में कितनी कारगर कार्यवाही अमल में लाता है?
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इनका कहना है
-मामले की जानकारी होते ही विपक्षियों को नोटिस जारी कर दिया गया है। मैं अभी ललितपुर से बाहर हँू। फोन पर सम्बन्धित सहायक अभियन्ता को कह दिया है। दो-तीन दिन में विभाग की दीवार को ऊँचा उठाकर अवैध कब्जा पूरी तरह हटा दिया जायेगा। अन्य दुकानों के बारे में न्यायालय के आदेश के तहत सख्त कार्यवाही की जायेगी।
-आर.सी.पटैरिया
अधिशासी अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग ललितपुर।
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बाक्स
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कईयों ने खाई है दलाली
इस मामले में एक दलाल का नाम सामने आया है, जो स्वयं के साथ एक आलाधिकारी का नाम भी घसीट रहा है। अवैध कब्जे की इस साँठगाँठ को पूरा कराने में उसकी भूमिका बताई जा रही है। यही कारण है कि इतने बड़े अवैध कब्जे को खुलेआम होने दिया गया है। कई बड़े सफेदपोशों के नाम भी लिये जा रहे हैं।