Move to Jagran APP

फोटो 5

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 12:58 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 12:58 AM (IST)
फोटो  5

नीम-निबौरी का मण्डी में आगमन शुरू

loksabha election banner

ललितपुर ब्यूरो : नीम-निबोरी (निमकौली) की फसल गल्ला मण्डी में आनी शुरू हो गयी है। जनपद में हजारों हजार नीम के पेड़ मौजूद हैं। बरसात आते ही इन पर फल लगने शुरू हो जाते है। निबोरी जमीन पर टपकने के बाद ग्रामीण इन्हे धूप में सुखाकर रख लिया जाता है। सूखी हुयी निबोरियों से नीम तेल प्राप्त किया जाता है, जो महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है।

भारतवाषियों को अब आयुर्वेद का उपयोग समझ में आने लगा है। पूरे विश्व की निगाहे भारत की इस बहुमूल्य चिकित्सा विधा पर लगी है। हमारे देश में नीम को विशिष्ट वृक्ष का दर्जा यूँ ही नहीं दिया गया। नीम वृक्ष की जड़, छाल, पत्तियाँ, टहनियाँ व फलों को दवा के रूप में हजारों साल से इस्तेमाल किया जा रहा है। अंग्रेजी दवाईयाँ आने के बाद कुछ समय तक लोगों ने इसे भुला दिया पर महत्व समझते हुये अब पुन: लोग चैतन्य होने लगे है।

नीम-निबोरी की आवक गल्ला मण्डी में बढ़ने लगी है। इसका दाम 650 रुपये प्रति कुण्टल बोला जा रहा है। निबोरी की क्वालिटी अच्छी बतायी जा रही है। आगामी समय में आवक बढ़ने का अंदेशा बना हुआ है। वजह यह है कि लगातार धूप पड़ने से निबोरियाँ सूख गयीं। सूखी निबोरी की माँग पूरे वर्ष बनी रहती है। निबोरी का छिलका भले ही खराब हो जाता हो पर उसके अन्दर पाया जाने वाला बीज काम का होता है जिसका एक्सपेलर की मदद से तेल निकाला जाता है। बाकी बचा पदार्थ खल होता है जिसका इस्तेमाल जैविक खाद बनाने के लिये प्रयुक्त होता है। नीम से बना जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ हानिकाकरक जीवाणुओं को नष्ट करता है जिससे खेत की उत्पादकता बढ़ जाती है।

जारी होंगे अभिवहन पास

ललितपुर: बुन्देलखण्ड वृत्त के क्षेत्रीय निदेशक/वन संरक्षक आलोक कुमार श्रीवास्तव ने प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी को प्रेषित किये गये पत्र में निर्देश दिये है कि प्रत्येक दशा में निबोरी के अभिवहन पास जारी किये जायें। यह प्रमुख वनोपज है। संज्ञान में आया है कि व्यापारी मण्डी परिसरों से बगैर अभिवहन पास के निबोरी का व्यापार कर रहे है। इसे रोका जाये।

लाख फायदें है नीम के

ललितपुर: नीम की पत्तियाँ पीसकर बालों में लगायें। इससे बाल मुलायम होते है। साथ ही जुऐं व लीख मर जाते है। चर्म रोगों में इसका लेप शरीर पर करे तो फायदा पहुँचता है। नीम की छाल घिसकर घाव में लगायें। इससे घाव में आराम लगता है। यह एण्टीबायटिक व एण्टीसैप्टिक है। कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में एण्टी ऐलर्जिक के रूप में होता है। नीम तेल नरियल या सरसों के तेल में मिलाकर बदन पर मालिश करने से मच्छर नहीं काटते साथ ही बरसात के कोई भी कीड़े-मकोड़े दूर रहते है। नीम की छाँव में बैठने से लू से बचाव होता है। रात्रि के समय नीम के पेड़ के नीचे सोने से साँप जैसे विषैले जीव दूर रहते है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.