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नेपाल में बांध बनने से बढ़ी तबाही की आशंका

तिकुनिया (लखीमपुर) : भारत-नेपाल सीमा पर बह रही मोहाना नदी के किनारे नेपाल सरकार द्वारा बांध बनाने से

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 09:52 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 09:52 PM (IST)
नेपाल में बांध बनने से बढ़ी तबाही की आशंका
नेपाल में बांध बनने से बढ़ी तबाही की आशंका

तिकुनिया (लखीमपुर) : भारत-नेपाल सीमा पर बह रही मोहाना नदी के किनारे नेपाल सरकार द्वारा बांध बनाने से सीमाई भारतीय गांवों पर खतरा बढ़ गया है। यदि समय रहते ¨सचाई विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बरसात के मौसम में बाढ़ की भयावह स्थिति बनने के बाद सीमा पर बसे करीब एक दर्जन भारतीय गांव बुरी तरह तबाह हो सकते हैं। कई दशक से सीमा पर बह रही नेपाल की मोहाना व कर्णाली नदियां अपने दोनों तरफ स्थित भारत-नेपाल के सीमावर्ती गांवों को तबाह करती आ रही हैं। इस तबाही में अब तक दोनों देशों के तमाम गांव उजड़ चुके हैं। तमाम पशु व मानव मौत के मुंह में समा चुके हैं। इस तबाही को रोकने का ¨सचाई विभाग ने भले ही कोई स्थायी हल न निकाला हो, लेकिन नेपाल ने मोहाना नदी के किनारे अपनी ओर मजबूत बांध बनाने का काम शुरू कर बाढ़ व कटान की तबाही से अपने गांवों को बचाने का स्थाई समाधान निकाल लिया है।

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ग्राम काला कुंडा के सामने मोहाना नदी के किनारे अब तक नेपाल प्रशासन द्वारा कई किलोमीटर लंबा मजबूत बांध बनाया जा चुका है तथा अभी इसे और लंबा किए जाने का कार्य जारी है। विडंबना यह है कि ¨सचाई विभाग के बाढ़ खंड अधिकारी नेपाल की तैयारी की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

तिकुनिया भी संकट के घेरे में

बांध निर्माण से पूर्व बरसात के मौसम में बाढ़ का पानी नदी के दोनों तरफ फैल जाता था। जिससे तबाही का मंजर दोनों देश के सीमावर्ती गांवों में बंट जाता था। अब मोहाना नदी पर नेपाल की तरफ बांध बनने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर मोहाना नदी का सारा का सारा पानी भारतीय सीमा के गांवों में ही घुसेगा। जिससे तिकुनिया कोतवाली क्षेत्र के ग्राम रननगर, इंद्रनगर, गंगानगर, दीपनगर, दाराबोझी, सूरतनगर सहित कई गांवों के साथ-साथ तिकुनिया में भी बाढ़ का पानी भारी तबाही मचा सकता है और बाढ़ का दंश झेलने के साथ ही तिकुनिया छोड़ अन्य सीमाई गांव भू-कटान की तबाही से सिमट सकते हैं

तबाही से बचाने को नहीं हो रहे कारगर उपाय

ऐसा नहीं है कि ¨सचाई विभाग की ओर से अपने सीमाई गांवों को कटान से बचाने के प्रयास न किए जा रहे हों। कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सूरतनगर व इंद्रनगर में कटान रोकने के लिए ¨सचाई विभाग द्वारा ठोकर निर्माण इत्यादि के कार्य कराए जा रहे हैं। जो कि पहले से ही नाकाफी थे, लेकिन नेपाल द्वारा कराए जा रहे बंधा निर्माण से ¨सचाई विभाग के ये प्रयास अब बौने दिखाई देने लगे हैं।

¨सचाई विभाग को भी बनाना होगा बंधा

सीमावर्ती गांववासियों का मानना है कि अपने गांवों को बाढ़ व कटान से बचाने के लिए जिस तरीके से नेपाल प्रशासन द्वारा अपनी ओर बांध का निर्माण कराया जा रहा है। उसी तरह यदि ¨सचाई विभाग भी अपनी ओर मोहाना नदी के किनारे बांध का मजबूत निर्माण करा दे तो इससे न केवल कटान व बाढ़ से राहत मिलेगी, बल्कि बांध मार्ग के रूप में भी लोगों को सुविधा पहुंचाएगा। साथ ही नदी का स्वरूप भी बेहतर होगा। दोनों ओर बांध बनने से नदी सदैव अपनी सीमा व एक ही धारा में बहेगी। सीमाई गांववासियों ने अपनी ओर भी बांध का निर्माण कराए जाने की मांग प्रशासन से की है।

जिम्मेदार की सुनिए

बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता वीके ¨सह ने कहा कि कौड़ियाला गुरुद्वारा के करीब से मोहाना नदी के किनारे ऊपर की ओर 2400 मीटर बंधे का प्रपोजल तैयार किया जा चुका है। पंद्रह अक्टूबर के बाद होने वाली कमेटी की बैठक में इस प्रपोजल को रखा जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि नेपाल प्रशासन द्वारा बंधा बनाए जाने से मोहाना नदी की बाढ़ का सारा पानी नेपाल के सीमावर्ती गांवों में न फैलकर सीधे अपने यहां आएगा। उन्होंने कहा कि इंद्रनगर की परियोजना उसी के परिपेक्ष्य में चल रही है और आगे जो प्रोजेक्ट बनाए गए हैं वह सभी उसी परिपेक्ष्य में हैं।


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