15 महिलाओं को रोजगार दे रहीं शहर की गीता
लखीमपुर शहर के मुहल्ला शिव कालोनी की गीता कश्यप के परिवार का खर्च पति की कमाई से नहीं चल रहा था।
लखीमपुर
शहर के मुहल्ला शिव कालोनी की गीता कश्यप के परिवार का खर्च पति की कमाई से नहीं चल रहा था। गीता अपने पति का हाथ बंटाने के लिए खुद नौकरी तलाश रहीं थीं। आज वही गीता समूह के जरिए 15 महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहीं हैं। गीता के पति छह हजार रुपये महीना की नौकरी कर रहे थे। इस बीच गीता की डूडा की शहर मिशन प्रबंधक गरिमा ¨सह से मुलाकात हुई। उन्होंने गीता को समूह बनाने की सलाह दी। गरिमा की सलाह पर गीता ने मुहल्ले की दस महिलाओं को एकत्र कर समूह का गठन किया। उज्जवला स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिलाएं प्रति माह प्रति महिला 100 रुपये जमा कर रही हैं। इससे प्रति माह एक हजार रुपये एकत्र हो रहा है। स्वयं सहायता समूह का बचत खाता इलाहाबाद बैंक की मुख्य शाखा में खोला गया है। समूह से जुड़ीं महिलाएं अपनी जरूरतों के लिए लेन देन करती हैं। प्रति माह 100 रुपये पर दो रुपये ब्याज सहित महिलाएं अपनी जरूरत पूरी कर रुपये वापस लौटाती हैं। पिछले एक वर्ष से यह समूह आपसी लेन देन कर रहा है। समिति ने छह हजार रुपये जरूरतमंद महिलाओं को दे रखा है। इसका लेखा जोखा समिति की कोषाध्यक्ष रखती हैं। इस समूह के जरिए दस परिवारों की जरूरतें आसानी से पूरी हो रही हैं।
समूह ने कर्ज लेकर खरीदी कार
गीता कश्यप ने पांच अन्य महिलाओं को जोड़कर नव चेतना समूह का गठन किया है। इसमें अंजू कश्यप, मीनू शुक्ला, शिव देवी और शालिनी कश्यप सदस्य हैं। महिलाओं के नव चेतना समूह को डूडा से कार कर्ज पर दिलाई गई है। गीता के पति गाड़ी चलाते हैं। दूसरे की नौकरी छोड़कर समूह से खरीदी गई गाड़ी को चला रहे हैं। समूह उन्हें दो सौ रुपये रोज का भुगतान समूह कर रहा है। समूह की महिलाओं ने वाहन की खरीद में 40 हजार रुपये लाभार्थी अंश लगाया था। पांच वर्ष की बैंक में किस्त बनाई गई है। समूह को सात प्रतिशत ब्याज देना है। तीन वर्षों तक नियमित किस्तें जमा होती रहीं तो अंतिम दो वर्ष ब्याज दर घटकर मात्र चार प्रतिशत रह जाएगी।
डूडा ने गीता को दिखाया रास्ता
जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम कर रही हैं। जिले में तीन समूह महिलाओं के गठित किए जाने का लक्ष्य मिला था। जिसमें दो समूह बन चुके हैं। एक समूह का मामला बैंक स्तर पर पिछले छह माह से लटका हुआ है। बैंकें पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रही हैं। जबकि महिलाओं के स्वयं सहायता समूह कारगर हैं। उन्हें लाभ मिल रहा है। शिवपुरी की गीता जो पहले खुद काम तलाश रही थीं आज 15 महिलाओं को स्वावलंबी बना चुकी हैं।
गरिमा ¨सह
शहर मिशन प्रबंधक (डूडा)