गोदामों में जमकर हो रहा पॉलीथीन का भंडारण
लखीमपुर : न्यायालय और राज्य सरकार ने भले ही पॉलीथीन के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिय
लखीमपुर : न्यायालय और राज्य सरकार ने भले ही पॉलीथीन के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन शहर के गोदामों में बड़े पैमाने पर पॉलीथीन का भंडारण किया गया है। इन गोदामों से पॉलीथीन निकल कर बाजारों ओर फिर आम आदमी तक पहुंच रही है। प्रशासन की जानकारी में पॉलीथीन बेचने के लिए दुकानदारों को लाइसेंस तो जारी कर दिए गए हैं, लेकिन प्रशासन ने न तो कभी लाइसेंस रद करने की प्रक्रिया शुरू की और न ही बाजार में अभियान चलाकर पॉलीथीन बेचने वाले दुकानदारों पर शिकंजा कसा। सबसे ज्यादा पॉलीथीन का इस्तेमाल सब्जी दूध, मीट शाप, जनरल स्टोर समेत कई जगहों पर किया जा रहा है। मिठाई की बड़ी दुकानों पर भी पॉलीथीन में मिठाई देना परंपरा बन चुकी है।
हैरत की बात यह है कि व्यापारी से लेकर आम आदमी तक पॉलीथीन से होने वाले नुकसान के बारे में भली-भांति जानता तो है, लेकिन फिर भी पॉलीथीन से उसका मोह भंग नहीं हो रहा है। जिले में सफाई के दौरान भी कचरे का एक बड़ा भाग पॉलीथीन के रूप में सामने आता है। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इन सबके बावजूद इसे खत्म करने या हटाने के कोई जमीनी प्रयास नहीं किए गए। बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों से लेकर गली मुहल्लों तक पालीथिन मुक्त शहर का सपना अभी भी अधूरा है।
जिम्मेदारी से ही पीछे हट गई टीम
लखीमपुर : शासन से प्रतिबंध के बाद पालीथिन पर शिकंजा कसने के लिए एसडीएम सदर द्वारा नगर पालिका को निर्देशित किया गया और दो सदस्यीय टीम बना कर छापेमारी का निर्देश दिया था, लेकिन यह टीम न तो कभी बाजार में उतरी न ही कोई कार्रवाई की। बजार में पॉलीथीन बिकती रही और जिम्मेदार लोग इससे पल्लाझाड़ रहे। लिहाजा पॉलीथीन पहले की तरह ही गोदामों में भरी रही। अब यह टीम और न ही प्रशासन के अधिकारी ही पॉलीथीन के प्रति गंभीर नजर आ रहे हैं। जिसके कारण पॉलीथीन बाजार से नहीं दूर हो रही है। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। शहर की सड़कों के किनारे या मौदानों में बढ़ रहा प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
बेअसर हुआ नपा अध्यक्ष का प्रयास
लखीमपुर : पॉलीथीन मुक्त लखीमपुर बनाने के उद्देश्य से डॉ. इरा श्रीवास्तव ने अपनी टीम के साथ बाजार में दुकानों पर यह अपील की कि आम लोग पॉलीथीन के इस्तेमाल से बचे। इसके लिए उन्होंने लगातार कई दिनों तक लोगों को कपड़े के झोले भी बांटे थे, लेकिन उनका यह प्रयास भी शहर में बेअसर साबित हुआ। नगर पालिका के कर्मचारियों ने भी उनकी मंशा के अनुरूप कार्य नहीं किया। जिसके चलते शहर क नालियां पॉलीथीन से चोक हैं। कचरे के ढेर में एक बड़ा भाग पालीथिन का होता है। शहर के बाहर लगे कचरे के ढेरों में भी पॉलीथीन आसानी से देखी जा सकती है। जल भंडारण के श्रोत शहर के कच्चे तालाब भी पालीथिन का शिकार हो रहे हैं। सड़कों के किनारे इन्हें अक्सर जलाने पर इनसे निकलने वाली गैस व दुर्गंध लोगों के लिए असह्य होती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
एसडीएम सदर सैमुअल पाल बताते हैं कि शहर में पॉलीथीन से संबंधित कोई भी शिकायत उनके पास नहीं आई। पूरी तरह पॉलीथीन प्रतिबंध की जानकारी भी उन्हें नहीं थी। लिहाजा शहर मं कोई अभियान नहीं चला।