कच्चे धागों से मजबूत कर रहे सौहार्द
लखीमपुर उम्र 80 साल, नाम मुन्ने मियां। यह वह शख्स हैं जो कच्चे धागों से सांप्रदायिक सौहार्द को म
लखीमपुर
उम्र 80 साल, नाम मुन्ने मियां। यह वह शख्स हैं जो कच्चे धागों से सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करते हैं। शहर के मेला मैदान में जिले की डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुरानी रामलीला में करीब 65 साल से राम, रावण, हनुमान, वानर सेना समेत अन्य किरदारों के कपड़े यही सिलते आ रहे हैं। रामलीला के पात्रों के साथ-साथ सिंहासन को उठाने वाले कहारों और अन्य के भी कपड़े इन्हीं के हाथों की कला है। सिर्फ कपड़े ही नहीं सिलते बल्कि रामलीला को भी बड़े चाव से देखते हैं।
मुन्ने मियां बताते हैं कि 65 साल पहले वे अपने ससुर के साथ यहां कपड़ा सिलने आए थे, तब उनकी उम्र 15 साल की थी। उस समय उन्हें पात्रों के कपड़े सिलने में कठिनाई भी मालूम होती थी, पर अब तो सारा काम अकेले ही कर लेते हैं। चूंकि सामान्य कपड़े और धर्म विशेष से जुड़े पात्रों के कपड़े सिलने में बड़ा अंतर हो जाता है। किरदार को समझना पड़ता है। धीरे-धीरे हर बारीकी जानी और अब तो इससे लगाव का हो गया है। मुन्ने मियां कहते हैं हर धर्म महान है। यही भारतीय संस्कृति है कि यहां कोई छोटा बड़ा नहीं एक है। हमें हर त्योहार को सौहार्द से मनाना चाहिए।
रावण का पुतला बनाते हैं बरकत अली
मेला मैदान में आग की लपटों में जोरदार धमाकों के साथ जलने वाला रावण का पुतला हर किसी को रोमांचित करता है। इस पुतले को बनाते हैं पलिया तहसील निवासी बरकत अली। बरकत अली बताते हैं कि करीब छह साल से वे लगभग 70 फिट ऊंचा रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं। वह छह साल पहले सेठ परिवार के निमंत्रण पर यहां रावण का पुतला बनाने आए थे। वे बताते हैं कि गोला, पलिया तथा लखीमपुर समेत तीन जगह रावण का पुतला बनाने का काम करते हैं।