बाढ़ ने बेहाल किया तो सड़क पर आई ¨जदगी
निघासन (लखीमपुर) घाघी नाले के उत्तरी बंधे के तट पर खेत में बना यह खंडहरनुमा घर भी कभी बच्चों क
निघासन (लखीमपुर)
घाघी नाले के उत्तरी बंधे के तट पर खेत में बना यह खंडहरनुमा घर भी कभी बच्चों की किलकारियों से गुलजार हुआ करता था। इसी वीरान घर में सरदार दीदार ¨सह पत्नी, बच्चों और पोते-पोतियों के साथ रहा करते थे। जून 2013 में आई भयंकर बाढ़ से घाघी नाले ने उनके खेतों और घर को पानी से लबरेज कर दिया था। इसी के पश्चिम दिशा की ओर लगी जमीन पर बलकार ¨सह की पत्नी चरन कौर भी अपने खेत में घर बनाकर रहते थे। कटे बंधे से निकले पानी ने उनके घर और खेत को भी अपने आगोश में समा लिया था। इससे दोनों संपन्न परिवार कटान की जद का शिकार होकर मकान से सड़क पर झोपड़ी डाल जा बसे थे। बता दें कि लुधौरी से खमरिया मार्ग पर रानीगंज के पास बहने वाले घाघी नाले से यही दो परिवार नहीं बल्कि कई घर तबाह हो चुके हैं। इस नाले के पास बने पुल से पूरब कुछ दूरी पर पहले कई परिवार अपने खेतों में घर बनाकर रहा करते थे। नाले के उत्तरी छोर पर बने बंधे को लोग रास्ते के रूप में प्रयोग कर राजीहार, मंडप फार्म, ठाकुरपुरवा, बैलहा, लालपुर और निघासन तक जाने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल करते थे। वहीं रानीगंज पुल से करीब दो किमी दूर पूरब दिशा में करीब पचास घरों वाला राजीहार नामक गांव बसा था। गत तीन साल पूर्व नाले के पानी ने इन सभी को तबाह करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कर उनके घरों व खेतों को काटकर नाले के पानी ने जमींदोज कर दिया। इसके बाद नाले के किनारे बसे और राजीहार गांव के लोग वहां से पलायन करने को मजबूर हो गए। राजीहार में रहने वाले लोगों के घरों के भीतर चार से पांच फुट तक गहरा पानी भरने लगा। कुछ दिन हालात बदलने की आस लगाने के बाद वहां के दर्शन ¨सह, चंदा ¨सह, गुरमीत ¨सह, सुख¨वदर ¨सह, नरेंद्र ¨सह, निर्मल ¨सह और गुरमेल ¨सह आदि वा¨शदों ने मजबूरन भागकर रानीगंज सहित आसपास के ऊंचे स्थानों पर जाकर शरण ली और वहीं बस गए। नाले के पानी से बेघर हुए लोगों ने बताया कि नाले के उत्तरी बंधे का सिरा छह साल पहले भी कटा था। यहां से निकला पानी खेतों व घरों को काटता हुआ लुधौरी, लालपुर, बैलहा, ठाकुरपुरवा, लालपुर, बरोठा, मिर्जागंज और रकेहटी तक जा पहुंचा था। इसने बहतिया नाले को भी लबरेज कर दिया था। लगातार तबाही मचा रहे इसके पानी से निपटने के लिए इस बंधे को पाटने की योजना अमित ¨सह, जसवीर ¨सह, जगदीश ¨सह, कुलवंत ¨सह, सतनाम ¨सह, रमनदीप ¨सह व सुवेग ¨सह आदि ने बना कर अफसरों और जनप्रतिनिधियों से खूब गुहार लगाई, लेकिन कोई असर न होने पर उन्होंने खुद चंदा करके इसकी पटाई कराई थी।