गागर चादर के साथ शुरू हुआ शहीद मर्द बाबा का उर्स
लखीमपुर : कचहरी रोड स्थित शहीद मर्द बाबा का 53वां उर्स मुबारक धूमधाम के साथ शुरू हो गया। इस बार यह
लखीमपुर : कचहरी रोड स्थित शहीद मर्द बाबा का 53वां उर्स मुबारक धूमधाम के साथ शुरू हो गया। इस बार यह उर्स 14-15 जून के बजाए मई की चार व पांच तारीख को मनाया जा रहा है। दरगाह के सज्जादा नसीन सैय्यद कमर अली व सैय्यद अमर अली राजू ने बताया कि जून में रमजान पड़ने के कारण इस बार उर्स की तारीख बदलनी पड़ी है। 32 साल पहले भी ऐसा करना पड़ा था।
दरगाह में सज्जादा नशीन सैय्यद कमर अली बताते हैं कि यहां पर तीन शहीदों की मजारे हैं। एक तो यह मेन रोड पर दूसरी इस मजार के सामने दुकानों के पीछे व तीसरी दरगाह से लगी सुनहरी मस्जिद के अंदर मजार है। इन शहीदों के बारे में उनका कहना है कि ये बहराइच वाले सैय्यद सालार मौजूद गाजी (रह.) के लश्कर में आए सिपह सालार थे। जो यहां पर शहीद हुए हैं। इनका नाम इत्यादि तो किसी को नहीं पता, पर इनके चाहने वालों की कमी नहीं है। उर्स के बारे में उन्होंने बताया कि करीब 55 साल पहले जब खुद कमर अली बरेली से यहां रहने आए तब यहां जंगल था। पीर-फकीरों की ¨जदगी से मुतास्सिर कमर अली ने इन शहीदों के उर्स की शुरुआत कोई 53 साल पहले कराई। तब से हर साल वे ही इस उर्स का पूरा इंतजाम कराते हैं। यह 53वां उर्स है। आलिमों को सुनहरी मस्जिद के पेश इमाम कारी सलीम ने बुलवाया है।
गागर-चादर के साथ हुई शुरुआत
- हर साल की तरह इस साल भी शहीद मर्द बाबा का उर्स शुरू हुआ तो जायरीनों का हुजूम उमड़ पड़ा, दुरूदों सलाम के साथ नजरों-नियाज कराने वालों का उत्साह देखते ही बना। शाम के करीब सात बजे सैय्यद कमर अली के घर से गागर व चादर का काफिला जब कव्वालियों के साथ रवाना हुआ तो लोग झूम गए। तीनों शहीदों का गुस्सा व संदल खत्म होते ही दूर-दराज से आए कव्वालों ने खिराजे अकीदत पेश की। नातिया कव्वालियों से शहीदों की चादरपोशी की गई। इसके बाद अकीदतमंदों की जियारत का सिलसिला आधी रात तक चला वहीं तकरीर के लिए आए आलिमों ने शहीदों व सूफियों की ¨जदगी पर रोशनी डाली तथा उनके बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की। इसमें बुलंदशहर से मुफ्ती शकील अहमद, बरेली से मुफ्ती नईमुद्दीन, गोंडा से मुफ्ती रईसुल कादरी ने तकरीर की।