छूमंतर हुआ स्वच्छ भारत अभियान
लखीमपुर : नगर पालिका परिषद की सफाई व्यवस्था देखनी हो शहर बड़खेरवा वार्ड आइये। जहां चोक नालियों का पान
लखीमपुर : नगर पालिका परिषद की सफाई व्यवस्था देखनी हो शहर बड़खेरवा वार्ड आइये। जहां चोक नालियों का पानी रास्तों में भरने के बाद गलियां नाले का रूप ले चुकी हैं। अब उन गलियों से आवागमन के बजाय घरों का पानी बहाने का काम लिया जा रहा है। नगर पालिका परिषद एक नहीं दो नहीं करीब 20 से ज्यादा प्रार्थना-पत्र देने के बाद भी न तो कोई सफाई कर्मी पहुंचा न ही गलियों का नरक ही साफ कराया गया। अभी चंदरोज पहले भी शहर के मुहल्ला हाथीपुर कोठार की एक गली में भी ऐसी अव्यवस्था दिखी थी। यहां के लोग खुद दैनिक जागरण कार्यालय चलकर आए थे और उन्होंने अपनी व्यथा बताई थी। लापरवाही की हालत यह है कि अब नाली और खड़ंजा जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं के लिए शहरवासियों को ज्ञापन, शिकायत-पत्र या अखबार के दफ्तरों का सहारा लेना पड़ता है। एक साल पहले नरेंद्र मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान का भी बड़ा हल्ला था, लेकिन अब वह भी कहीं नजर नहीं आता। कुछ दीवारों पर नारेबाजी, कुछ जगाहों पर सामूहिक रूप से एकत्र होकर झाड़ू अभियान और फिर फोटो ¨ख चने के बाद सब कुछ खत्म। महज कागजों तक सीमित स्वच्छ भारत अभियान भी। सच पूछिए तो राजनैतिक छलावे के अलावा कुछ भी नहीं साबित हुआ। बड़खेरवा में राजकीय इंटर कॉलेज के शिक्षक राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव के मकान के बांई ओर बनी गली पूरी तरह से नाला बन चुकी है। राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव के मकान से करुण कुमार के मकान तक इस खड़ंजे को इंटर ला¨कग बनाया जाना था, लेकिन इसे लेकर कई बार नगर पालिका से संपर्क भी किया गया, लेकिन आस-पास की गलियां तो इंटर लॉ¨कग बन गई। बस इसी गली में कोई काम नहीं हुआ। करीब पांच माह पूर्व यहां काम शुरू तो हुआ, लेकिन फिर क्यों बंद कर दिया गया यह किसी को नहीं पता। गली के पीछे पानी भरा है। मच्छरों से लोगों को दिक्कतें हैं। यहां के निवासी करुण कुमार बताते हैँ कि सफाई कर्मी आते ही नहीं हैं। सफाई की तो बात जाने दीजिए वोट मांगने सब आए थे। चित्रा श्रीवास्तव बताती हैं कि पानी भरे होने के कारण कई बार घरों में सांप तक आ जाते हैं। सड़ांध के चलते घर में बैठना मुश्किल है। मच्छर इतने हैं कि लोग रात में सो नहीं पाते हैँ। राजकुमार बताते हैँ कि कम से कम बीस से ज्यादा प्रार्थना-पत्र नगर पालिका को दिए गए हैं, लेकिन कोई झांकने नहीं आया। चुनाव में सबको याद था अब किसी को नहीं। शकुंतला मिश्रा बताती हैं कि इस पानी से बीमारियां फैल सकती हैं। सफाई कर्मी आते नहीं है अगर भी तो पैसे मांगते हैं ऐसे में सफाई कैसे हो। पुलकित रंजन श्रीवास्तव बताते हैं कि नगर पालिका को कई बार प्रार्थना-पत्र दिया लेकिन न तो गली न ही सफाई हो रही है। सभासद की हालत तो यह है कि उसका कोई नाम तक यहां नहीं जानता।