किसानों को अब भी है 18 करोड़ रुपये का इंतजार
पलियाकलां (लखीमपुर) : गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर चली लंबी कवायद और जद्दोजहद के बावजूद किसानों का कोई
पलियाकलां (लखीमपुर) : गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर चली लंबी कवायद और जद्दोजहद के बावजूद किसानों का कोई भला नहीं हो सका। कहां तो यह कहा जा रहा था कि किसानों को 18 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन उस घोषणा के आठ दिन गुजरने के बाद भी किसानों के पास कुछ खास नहीं मिला है। दिक्कत यह कि अब किसानों के लिए सारे रास्ते बंद से हो गए हैं। किसान नेताओं की बात मानकर उन्हें वो सब कुछ किया जो कहा गया, लेकिन कोई बेहतर हल निकल ही नहीं पाया।अवगत कराते चलें कि चालू पेराई सत्र में गन्ना मूल्य निर्धारण और भुगतान की मांग को लेकर किसान नेताओं की अगुवाई में इलाके के अन्नदाताओं ने पहले महापंचायत की थी। इसके जरिए अधिकारियों पर दबाव बनाने का प्रयास हुआ। जिसके बाद पांच करोड़ रूपये का भुगतान भी हो गया। बाद में किसान नेताओं ने चक्का जाम, मिल अधिकारियों को बंधक बनाकर जोरदार ढंग से अपनी बात रखी। यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन इसके बाद स्थिति तेजी से बिगड़ती चली गई जिसके लिए सीधे तौर पर किसान नेताओं को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल चक्का जाम के बाद किसानों ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया था। कोशिश थी कि डीएम को मौके पर बुलाकर अपनी बात रखी जाए। डीएम ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा भी था, लेकिन उनकी बात न मानकर धरना आगे जारी रखने का निर्णय लिया गया था। हालांकि इसके तुरंत बाद देर रात विधायक रोमी साहनी के कहने पर बिना किसानों को विश्वास में लिए नेताओं ने धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया था। आंदोलन समाप्त करते समय कहा गया था कि मिल 18 करोड़ रूपये एक सप्ताह के भीतर देने के लिए तैयार हो गई है। नाटकीय ढंग से खत्म हुए धरने और बिना लिखित समझौते के 18 करोड़ रुपये देने की बात मानकर किसान नेता खामोश बैठ गए, लेकिन नतीजा क्या निकला? 18 करोड़ रुपये में से एक रूपया भी मिल की तरफ से नहीं दिया गया है। मिल अधिकारियों ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे 18 करोड़ रुपये देने की स्थिति में भी नहीं है अलबत्ता उन्होने जो तीन करोड़ रुपये भुगतान करने की बात कही थी वही दे पाएंगे। मिल अधिकारियों ने किया भी यही। किसानों की मुसीबत यह कि डीएम ने मिल के चीनी भरे गोदामों को भी सीज कर दिया। ऐसी स्थिति में हाल फिलहाल चीनी बेंचकर भुगतान कर पाना भी मिल के बस में नहीं रहा। चक्का जाम की घटना के बाद किसान नेताओं समेत 150 के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो चुका है, जिसने किसानों को भीतर से हिलाकर रख दिया है। अब किसान इस बात को लेकर परेशान हैं कि क्या और कैसे किया जाए। किसान नेताओं की बात मानकर उन्होंने वो सब कुछ किया जो कहा गया लेकिन उस कार्य से उनको कोई लाभ न हुआ और न ही हाल फिलहाल पैसा मिलने की उम्मीद ही नजर आ रही है।