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वेबसाइट के जरिए सात बच्चे पहुंचे घर

लखीमपुर थोड़ी देर के लिए ही सही, अगर बिना कुछ बताए आंखों का तारा नजरों के सामने से ओझल हो जाए तो.

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 09:38 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 09:38 PM (IST)
वेबसाइट के जरिए सात बच्चे पहुंचे घर

लखीमपुर

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थोड़ी देर के लिए ही सही, अगर बिना कुछ बताए आंखों का तारा नजरों के सामने से ओझल हो जाए तो..? ख्याल भर से ही मन घबरा जाता है। लखीमपुर शहर के मुहल्ला शाहपुरा कोठी निवासी अनुराग मिश्र भी इसी एहसास से गुजरे जब जयपुर राजस्थान के एक माल में उनकी बेटी कुछ देर के लिए गुम हो गई। कुछ देर बाद बेटी तो मिल गई पर उस बैचेनी ने उनका साथ नहीं छोड़ा। ख्याल आया कि क्यों न इस तरह खोए बच्चों को उनके अपनों से मिलाया जाए। फिर क्या था, सूचना क्रांति के इस युग में उन्होंने इस काम के लिए तकनीक का सहारा लिया और 'माई मिसिंग बेबी डॉट कॉम' वेबसाइट तैयार की। बहरहाल, इस वेबसाइट की मदद से अब तक सात बच्चे अपने घर पहुंच चुके हैं।

माई मि¨सग बेबी डाट कॉम वेबसाइट बनाकर उन्होंने उसे फेसबुक और वाट्सएप से जोड़ा। शुरुआती दौर में ही इस वेबसाइट और सोशल साइट से करीब चार लाख लोग जुड़ चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो देश भर में 2011 से 2014 तक करीब साढ़े तीन लाख बच्चे गुमशुदा या अपहृत हैं। खीरी जिले में ही दर्जन से ज्यादा बच्चे लापता हैं। जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया है। सरकार ने बच्चों को खोजने के लिए खोया-पाया डॉट कॉम व ट्रैक द मि¨सग चाइल्ड नाम की दो वेबसाइट बना रखी हैं। इन पर लापता बच्चे की जानकारी देने से पहले आमजन को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें उन्हें अपने फोन नंबर से लेकर अपनी आइडी तक देनी पड़ती है। इस कारण इन वेबसाइट से लोग नहीं जुड़ रहे हैं। बालगृह बालक और बालिका में खीरी जिले में ही दो दर्जन से अधिक लावारिस बच्चे ऐसे शरण पा रहे हैं जो मूकबधिर हैं और अपने बारे में कुछ भी बताने में असमर्थ हैं, लेकिन इन बच्चों का किसी भी वेबसाइट पर विवरण अपलोड नहीं किया गया है। जिसके चलते वर्षों से इन संस्थाओं में शरण पा रहे बच्चों का पता नहीं लग पाया है कि वह कहां से आए और उनके परिवारीजन कहां है। माई मि¨सग बेबी डाट कॉम के संचालक अनुराग मिश्रा ने प्रदेश की इन संस्थाओं और पुलिस के अधिकारियों से संपर्क कर ऐसे बच्चों का विवरण वेबसाइट पर अपलोड कराने की मांग की है ताकि गुमशुदा इन मूकबधिर बच्चों को उनके माता-पिता के पास पहुंचाया जा सके।

सात बच्चों को मिलवाया

इस वेबसाइट के जरिए अब तक सात बच्चे अपने परिवार तक पहुंचने में सफल रहे। इस वेबसाइट के जरिए गुम हुए बच्चे जयपुर के तस्लीम, पुनीत खंडेलवाल, सनीप पेघवाल, अक्षत, आदिल नागोरी, बाराबंकी की ओजस्मिता शुक्ला गुजरात में और दीपक ¨सह दिल्ली में भटकते हुए लोगों को मिले। वेबसाइट पर परिवारीजनों के पते ने उन्हें वापस उन तक पहुंचाया।


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