..मजा मारौ संवरिया परधानी मा !
लखीमपुर : कवि फारुक सरल लिखते हैं, जाय करिहौ का बलम रजधानी मा, मजा मारौ संवरिया परधानी मा। उनकी ये ल
लखीमपुर : कवि फारुक सरल लिखते हैं, जाय करिहौ का बलम रजधानी मा, मजा मारौ संवरिया परधानी मा। उनकी ये लाइने संभवत. किसी गांव में प्रधानी चुनाव से पहले की लाइव सीन कापी से जरूर अभिमंत्रित रहीं होंगी । छोटी संसद की जंग में अब कोई भी तीर ऐसा नहीं बचाया जा रहा है जिसे तरकस में पड़ा रहने दिया जाये। पहले चरण के मतदान में तो अब दो ही दिन बाकी बचे हैं..ऐसे में वोटर देवता हर वक्त प्रसन्न ही रहें इस पर कोई रिस्क नहीं लिया जा रहा है।
जिला मुख्यालय से कोई पैंतीस किलोमीटर दूर एक गांव में प्रधानी चुनाव का रंग देखने को मिला होश ही उड़ गए। सुबह नित्य कर्म के लिए जाते गांव के बुजुर्ग आपस में रात का किस्सा बखान करते चले जा रहे थे। कुछ घंटे का वक्त और बीता और शुरू होने लगा हलकारों का दौर। कोई बेसन मिर्चा की दावत दे गया तो कोई दही जलेबी की व्यवस्था भरपूर है कहकर ये भी बता रहा है कि कारीगर लगा है आराम से आओ। अब दोपहर होने लगी थी और गांव में सरगर्मी तेजी से बढ़ने लगी थी। जितने भी उम्मीदवार थे उनमे से सबसे ज्यादा रौनक उस प्रत्याशी के घर व पंडाल में थी जो पिछले बार हार गया था। प्रधान जी के यहां भी सरगर्मी कम नहीं थी। चांद चाचा अनुभवी किसान की तरह उनके कुछ प्रबंधकों ने ये सलाह दी थी कि ज्यादा चक्कर म न पड़व व्आटय सबै पक्की हैं। तीन बजते बजते शाम सी महसूस होने लगी थी और कच्ची, देशी और अंग्रेजी तीनो के ब्रांड उपलब्ध होने लगे थे। कहीं चोरी छिपे तो कहीं खुलेआम चलनी शुरू हो गई। बस.. झूले के पत्ते में अब बेसन मिर्चा, चटपटी मटर पर पड़ी खट्टी चटनी और हाथ में डबाडब भरा डिस्पोजल का गिलास आने के बाद तो हर उम्मीदवार की सीट पक्की होती नजर आई। बस जीत का अंतर जरूर कम ज्यादा होता रहा। ये पूछे जाने पर कि अगर पुलिस आ गई तो क्या होगा मूंछों पर ताव देते हुए एक जनाब गुर्रा उठे और तपाक से बोल पड़े कि तिलंगा सब परधान जी के सेट हैं।
बहाना कोई होय लेकिन हंदाय आए गंगा
प्रधानी का चुनाव आया तो कईयों ने अपने पाप भी धुल लिए। एक प्रत्याशी ने आचार संहिता शुरू होने से पहले ही अपने पूरे गांव के लिए तीन बसें किराये से बुक कराईं और पूरे गांव वालों को कन्नौज के पास वाली गंगा नदी में स्नान करा लाया। गांव वाले कहते हैं कि सोचा कई बार था कि अबकी गंगा नहा लेंगे लेकिन जाने का साहस नहीं हुआ। भला हो प्रधानी चुनाव का.. जो आया तो वह गंगा नहा आये। इस गांव में चुनाव के पहले ही चरण में 28 नवंबर को होना है।