फूल बेंचकर महका रहा केशव घर की बगिया
लखीमपुर :महज चार साल की उम्र में ही मां की मृत्यु के बाद केशव की ¨जदगी में तमाम मुश्किलें थीं और हा
लखीमपुर :महज चार साल की उम्र में ही मां की मृत्यु के बाद केशव की ¨जदगी में तमाम मुश्किलें थीं और हालात भी खिलाफ थे। ¨जदगी की जिस डगर पर चलना था उसमें तमाम मुश्किलें थीं, पर उसने हिम्मत न हारी। केशव ने अपने मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से सफलता की ऐसी इबारत लिखी जिस पर इनके परिवारीजनों को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को गर्व है।
शहर के मुहल्ला महराजनगर निवासी 11 वर्षीय केशव बहुत ही गरीब घर का है। इसके बावजूद भी केशव अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से अपनी किस्मत की लकीरें बना रहा है। केशव के पिता मनोज सैनी दिल्ली में प्राइवेट टैक्सी ड्राइवर हैं। केशव चार साल का था जब उसकी मां का देहांत हो गया था। बचपन में ही मां की मौत के बाद केशव को उसकी दादी जमुना देवी ने पाला। गरीबी में पल रहे केशव का पढ़ाई के प्रति अटूट समर्पण था, लेकिन इतना पैसा नहीं था केशव किसी बड़े स्कूल में पढ़ सके। जीवन में आने वाली चुनौतियों उसके ²ढ़ संकल्प को तोड़ न सकीं और उसने खुद की पढ़ाई और परिवार के पालन पोषण के लिए घर-घर जाकर फूल बेंचना शुरू कर दिया। केशव नियमित साइकिल से शहर के मुहल्ला बहादुरनगर, महराजनगर, पुलिस लाइन समेत कई मुहल्लों में रोजाना सुबह छह बजे से 8 बजे तक घरों में फूल, बेलपत्र आदि देने जाता है। इसके एवज में केशव को एक घर से पांच रुपये मिलते हैं। केशव करीब सौ परिवारों को रोजाना फूल देने जाता है। इस प्रकार उसे एक माह में एक परिवार से करीब 150 रुपये मिल जाते हैं। मेहनत और संघर्ष के बाद केशव की दादी जमुना देवी ने उसे शहर के बहुत बड़े स्कूल के ¨हदी माध्यम शाखा में दाखिला दिलाया। केशव इस वक्त कक्षा पांच में पढ़ रहा है। केशव का बड़ा भाई सूरज सैनी भी शहर के सिकटिहा मुहल्ले के सांई मंदिर के पास फूल बेंचने का काम करता है। इसमें उसके चाचा नरायण सैनी भी मदद करते हैं।