न डॉक्टर, न संसाधन कहां जाएं मरीज
लखीमपुर : न डॉक्टर न संसाधन, न स्टाफ न सुविधा ऐसे में मरीजों को राहत मिले भी तो कैसे। शहर के साथ-सा
लखीमपुर : न डॉक्टर न संसाधन, न स्टाफ न सुविधा ऐसे में मरीजों को राहत मिले भी तो कैसे। शहर के साथ-साथ दूर-दराज क्षेत्रों से आए मरीजों को जिला अस्पताल का दंत चिकित्सा विभाग भी राहत दे सकने में असमर्थ है। महज एक डेंटल हाइजेनिस्ट के सहारे ही इस विभाग की गाड़ी चल रही है। संसाधनों व स्टाफ के अभाव में मरीजों का वापस लौटना यहां की नियति बन चुकी है।
जिला अस्पताल का दंत चिकित्सा विभाग महज शोपीस से ज्यादा कुछ नहीं है। दांतों के इलाज के लिए निजी चिकित्सकों के पास जाना शहरवासियों की मजबूरी है। विगत कई वर्षों से यहां एक सर्जन की भी नियुक्ति न होने से अव्वल तो यहां मरीज आते भी नहीं हैं जो आते भी हैं उन्हें यहां करीब दो साल से नियुक्त डेंटल हाइजेनिस्ट आसुतोष कुमार से सिर्फ सलाह ही मिल पाती है।
नवंबर 2014 में डॉ. दिव्या ¨सह यहां बतौर सर्जन आई भी थी, जिनका स्थानांतरण अब पड़ोसी जिला सीतापुर हो गया है। जिससे वे भी एक माह से यहां आ नहीं रही है।
डेंटल विभाग में रखी मरीजों की कुर्सी कंप्रेसर, दांतों में फि¨लग करने वाली एरोटर मशीन, दांत क¨टग करने वाली व घिसने वाली मशीन ये सभी ज्यादातर खराब स्थिति में है। यहां बात यहां के डेंटल हाइजेनिस्ट आसुतोष कुमार भी स्वीकारते हैं कि पुराने संसाधन दांतों के मरीजों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। पूरी यूनिट नई होने की आवश्यकता है। साथ ही एक डॉक्टर सर्जन एक वार्डब्वॉय व दो अन्य सहायकों की भी जरूरत है। मरीजों के ऑपरेशन न हो पाने, दांत उखाड़ने या दांतों में मसाला इत्यादि भरने में काफी दिक्कतें आती हैं।
इस बारे में अस्पताल के सीएमएस डॉ. वीरेंद्र साहू बताते हैं कि हर माह शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है। जैसे ही दांतों का डॉक्टर या स्टाफ अथवा संसाधन मिलेंगे। यहां लाए जाएंगे।