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एकता का पैगाम देता है बड़े पीर का आस्ताना

लखीमपुर : कस्बा खीरी के मुहल्ला बुखारी टोला स्थित हजरत अब्दुल रज्जाक उर्फ सैय्यद बड़े पीर साहब का आ

By Edited By: Published: Wed, 19 Nov 2014 08:34 PM (IST)Updated: Wed, 19 Nov 2014 08:34 PM (IST)
एकता का पैगाम देता है बड़े पीर का आस्ताना

लखीमपुर : कस्बा खीरी के मुहल्ला बुखारी टोला स्थित हजरत अब्दुल रज्जाक उर्फ सैय्यद बड़े पीर साहब का आस्ताना ¨हदु मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। इस आस्ताने पर हर दिन हजारों लोग हाजिरी देकर मन्नतें मांगते हैं। मजार पर हाजिरी देने वालों की हर मुराद पूरी होती है। हजरत बड़े पीर साहब कस्बा खीरी कब तशरीफ लाए इसकी कोई सही जानकारी तो नहीं है, लेकिन महान बुजुर्ग के कदम खीरी कस्बे में सुल्तान हुसैन खां के शासनकाल में आए। इनका संबंध बोरवारा शरीफ से था। उस समय देहली और जौनपुर में इस्लामी हुकूमतें थी जहां पीरों, फकीरों की मजारें हुआ करती थी। सैय्यद बड़े पीर कई जगह ठहरने के बाद खीरी चले आए और यहां पर रह कर धर्म का काम करने लगे। चूंकि सैय्यद बड़े पीर का ताल्लुक बोखारा शरीफ से था इसलिए जिस मुहल्ले में इनकी मजार स्थित है उसका नाम भी बुखारी टोला पड़ गया। सैय्यद बड़े पीर के पास ही उनकी बीबी की मजार है। इतिहास के मुताबिक सैय्यद बड़े पीर साहब लगभग 800 सौ हिजरी के बाद ही खीरी आए। खुदा की इबादत में व्यस्त रहने वाले बड़े पीर साहब के अकीदतमंदों का जमावड़ा उनके आसपास बना रहता था। बड़े पीर साहब ने बुखारी टोले के जंगली इलाके में अपनी रिहाइश बनाई धीरे-धीरे अकीदतमंद भी जंगल साफ करके बसने लगे। बड़े पीर के मजार पर आज भी छत नहीं है। ऐसा मानना है कि उन्होंने शायद अपने जीवन काल में छत बनाने से मना किया था। इसी वजह से आज तक अकीदतमंदों ने छत नहीं बनाई। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक हर साल मोहर्रम की 27 तारीख को इस महान सूफी का सालाना उर्स मनाया जाता है।

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इनसेट

उर्स 21 नवंबर को

खीरी टाउन : कस्बा खीरी मुहल्ला बुखारी टोला स्थित हजरत सैय्यद बडे़ पीर का सालाना उर्स 21 नवंबर को मनाया जाएगा। दरगाह के मुतवल्ली कैसर अली ने बताया कि 21 नवंबर दिन शुक्रवार को बाद नमाज मगरिब गागर चादर व गुस्ल का कार्यक्रम होगा। इसके बाद मिलाद शरीफ व नातिया कव्वाली का आयोजन होगा। उर्स के लिए सारी तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं।


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