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कंपनियों ने गुपचुप बढ़ा दिए रसोई गैस के दाम

लखीमपुर : एक ओर सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत कम कर आमजन को राहत देने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तर

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 09:22 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 09:22 PM (IST)
कंपनियों ने गुपचुप बढ़ा दिए रसोई गैस के दाम

लखीमपुर : एक ओर सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत कम कर आमजन को राहत देने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पेट्रोलियम कंपनियों ने अचानक घरेलू गैस के दाम बढ़ाकर सभी को चौका दिया है। अमूमन गैस कंपनियों को गैस की बढ़ती कीमतों का पता पहले चल जाता है, लेकिन इस बार उनको भी भनक नहीं लगी। गैस कंपनियों ने घरेलू गैस के एक सिलेंडर पर इस बार 3.37 रुपये बढ़ा दिये हैं। मूल्यों को बढ़ाये जाने से हर आम और खास परेशान है।

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दाम बढ़ने के बाद अब उपभोक्ताओं को 14.2 किलोग्राम वाले सिलेंडर की 439 रुपये कीमत अदा करनी होगी। इंडेन की यही सिलेंडर 441 अैार भारत का 442 रुपये में हो गया है। अक्टूबर माह में उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर 435.50 रुपये अदा करने होते थे। इससे पहले दिसंबर 2013 में उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर 432 रुपये में मिलता था। गैस के बढ़े दामों ने उपभोक्ताओं की जेब काट दी है। बताया जा रहा है कि सब्सिडी वाले सिलेंडर का भी मूल्य बढ़ गया है। सूत्रों की माने तो इस बार कंपनियों द्वारा चुपचाप बढ़ाये गये मूल्य को एजेंसी संचालकों के कमीशन में जोड़ दिया गया है। बढ़ाये गये मूल्य का फायदा सीधे एजेंसी संचालकों को होगा।

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हाय से महंगाई डायन..

बहादुरनगर मुहल्ला निवासी नीना बरनवाल ने गैस के मूल्य अचानक बढ़ाया जाना गलत है। पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, अब एक बार फिर वही। नौरंगाबाद रोड निवासी रोली अग्रवाल ने बताया कि पेट्रोल व डीजल के दाम घट रहे हैं, लेकिन अचानक रसोई गैस पर रुपये बढ़ाया जाना ठीक नहीं है। रसोई लगातार महंगी होती जा रही है। सरकार को इसपर भी अंकुश लगाना चाहिये। गोटैय्याबाग मुहल्ला निवासी अकरम शाह कहते हैं कि पहले की सरकार में दाम बढ़ते बाद में थे, हंगामा होने लगता था। लेकिन इस सरकार में चुपचाप रसोई गैस की कीमत बढ़ गई और कहीं कुछ नहीं है। सरकार को गैस के मूल्यों पर भी नियंत्रण करना चाहिये। कपूरथला मुहल्ला निवासी विजय मौर्या ने बताया कि अब हर व्यक्ति गैस पर खाना बना रहा है। गैस के मूल्य बढ़ते जा रहे हैं, इससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हो रही है। गैस आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएगी, तो सरकार का सपना संकट में पड़ जाएगा।


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