शहर के यातायात को दुरुस्त रखना बड़ी चुनौती
लखीमपुर : शहर में पांच लाख की आबादी की ट्रेफिक व्यवस्था का जिम्मा महज दस लोगों के स्टाफ पर है। चौक
लखीमपुर : शहर में पांच लाख की आबादी की ट्रेफिक व्यवस्था का जिम्मा महज दस लोगों के स्टाफ पर है। चौक गए न, मगर हकीकत यही है। स्टाफ कम होने के कारण महकमे को जाम की स्थित से निपटने के लिए होमगार्डो का सहारा भी लेना पड़ रहा है। लगातार बढ़ रही जनसंख्या के साथ वाहनों की रफ्तार भी बढ़ रही है। जाम के कारण शहर के बिगड़े हालातों में पार्किंग की व्यवस्था न होना कोढ़ में खाज का काम कर रही है। ऐसे में यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखना महकमे के लिए चुनौती बना हुआ है।
शहर के प्रमुख चौराहे हीरालाल धर्मशाला, सदर चौराहा, हमदर्द दवाखाना, मिश्राना चौराहा, रोडवेज, मेला मैदान, संकटा देवी और अस्पताल रोड पर ट्रेफिक रेंगता है। इन स्थानों से अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में एक मिनट के बजाय एक घंटा लगता है। इन सबको संचालित करने के लिए होमगार्डो की अहम भूमिका निभा रहे हैं। इससे नागरिक तो पस्त है इसके साथ ही यातायात पुलिस भी झूझती हती है। चौकाने वाली बात है कि जिले में कहीं भी आज तक ट्रेफिक सिग्नल लाइट नहीं लग सकी है। जिसका जहां मन होता है गाड़ी मोड़ देता है नतीजा दुर्घटना। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर करे तो जिले में करीब दो लाख प्राइवेट वाहन हैं। इसके अतिरिक्त 2.70 लाख दो पहिया व चौपहिया वाहन हैं। नगर में जिला अस्पताल रोड पर नो इंट्री का बोर्ड तो लगा दिया गया, लेकिन दो पहिया व चौपहिया वाहन का आवागम चालू रहता है। ऐसे में अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है कि यातायात व्यवस्था को कैसे सुधारा जाएगा।