Move to Jagran APP

67 साल बाद भी ग्रामीण अंधेरे में जीने को विवश

लखीमपुर : 'कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिये, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए'। प्रसिद्ध कवि द

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 09:16 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 09:16 PM (IST)
67 साल बाद भी ग्रामीण अंधेरे में जीने को विवश

लखीमपुर : 'कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिये, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए'। प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार की यह कविता तहसील निघासन की ग्राम सभा भेड़ौरी के मजरा बघ्घैया के ग्रामीणों पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। आजादी के 67 साल बाद भी इन ग्रामीणों को अभी तक बिजली के दर्शन तक नहीं हो पाये हैं। गाव में बिजली की लाइन लाने के लिए ग्रामीणों ने अपने प्रयास में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। केंद्र सरकार की राजीव गाधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना भी इन ग्रामीणों के सपने को साकार नहीं कर सकी।

loksabha election banner

जागरण संवाददाता ने जब गाव पहुंच कर ग्रामीणों से इस मुद्दे पर बात की तो नेताओं की वादा खिलाफी और सरकारी मशीनरी द्वारा की गयी घोर उपेक्षा का दर्द उनके सीने में साफ झलक रहा था। मजरा बघ्घैया निवासी जसवंत कुमार कहते हैं कि बिजली आम आदमी के जीवन से जुड़ चुकी हैं। संचार क्रांति के इस युग में हाइटेक हो चुकी दुनिया कहां से कहा पहुंच गयी, परंतु यह मजरा जैसे आजादी से पहले था वैसा आज भी हैं। गाव में बिजली का न होना एक बड़ी समस्या हैं। नेताओं ने गाव आकर चुनाव के दौरान आश्वासन दिए हैं लेकिन चुनाव बाद बिजली की बात तो दूर हाल चाल तक पूछने कोई नेता यहा नहीं आया हैं। जगमोहन कहते हैं कि सरकारी मशीनरी और नेताओं ने यहा के वाशिंदों के साथ सौतेला व्यवहार किया हैं। तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक बिजली के लिए सैकड़ों बार चक्कर लगा चुके हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिये लेकिन, हर बार झूठा ही साबित हुआ। वोट लेने के बाद नेताओं का अपना उल्लू सीधा हो जाता हैं गाव आकर समस्याओं का निराकरण कराना तो दूर नेता पहचानने तक से इन्कार कर देते हैं। सूरजभान ने तो बिजली की बात करना ही बंद कर दिया हैं। उनका कहना हैं कि अब वह बिजली की आस छोड़ चुके हैं, और घर पर सोलर पैनल लगाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका मानना हैं कि शासन प्रशासन पूरी तरह से निरंकुश हो चुका हैं, गरीबों की कही पर भी कोई सुनने वाला नही हैं। इसलिए बिजली का सपना अब उनके लिए महज एक कोरा सपना ही बन कर रह गया हैं। नंद कुमार नेताओं और सरकारी मशीनरी की वादा खिलाफी से तो बेहद खफा हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक हार नहीं मानी हैं। उनका कहना हैं कि बिजली के लिए वह अपना प्रयास तब तक जारी रखेंगे जब तक उनका गाव भी अन्य गावों की तरह बिजली के बल्बों की रोशनी से जगमगा नही जायेगा। ग्रामीण छोटे ने बताया कि बिजली की लाइन गांव तक लाने को लेकर कई बार तहसील दिवस में जाकर अधिकारियों का ध्यान इस ओर केन्द्रित कराया अधिकारियों और नेताओं ने आश्वासन देने में कोई कमी बाकी नहीं रखी। ग्राम सभा भेड़ोरी की ग्राम प्रधान रेखा राना ने बताया कि बिजली का गाव में न होना एक चिंताजनक विषय हैं। उनके द्वारा भी इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं। चूंकि यह कार्य राजीव गाधी विद्युतीकरण योजना के अ‌र्न्तगत होना हैं इसके लिए वह शीघ्र ही शासन प्रशासन को पत्र लिखकर अवगत कराएंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.