बेरोजगारों के मेले में मासूमों को 'रोजगार'
लखीमपुर : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में छह दिनों से सजे बेरोजगारों के मेले में उन्हें भले ही
लखीमपुर : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में छह दिनों से सजे बेरोजगारों के मेले में उन्हें भले ही रोजगार न मिला हो, लेकिन परिसर के बाहर खाकी ड्रेस पहने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को रोजगार जरूर मिल गया है। यह छोटे-छोटे बच्चे हाथों में पानी के पाउच, प्रशिक्षु शिक्षकों को प्रत्यावेदन फार्म की फोटो कापी बेचकर चंद रुपये कमा रहे हैं। मां-बाप चंद रुपयों के खातिर बच्चों को स्कूल न भेजकर धंधा करने पर मजबूर कर रहे हैं।
डायट परिसर के बाहर प्रत्यावेदन की फोटो कापी बेंच रहा पिंकू कहता है कि वह राजापुर के परिषदीय स्कूल में कक्षा पांच की पढ़ाई कर रहा है। उसके पिता डायट के बाहर टिक्की-बताशे का ठेला लगाते हैं। पिंकू के पिता ने डायट में भीड़-भाड़ को देखकर उसके हाथ में पानी का पाउच थमा दिया। अब पिंकू स्कूल न जाकर डायट के बाहर लोगों को दो-दो रुपये में पानी बेंच रहा है। पिंकू का एक साथी अमन भी झोले में पानी के पाउच लेकर दिनभर इधर-उधर भटकता रहता है। दोनों के अलावा मंडी के बाहर पड़ी झोपड़ी में रहने वाला विपिन प्रशिक्षु शिक्षकों द्वारा भरे जाने वाले प्रत्यावेदन की फोटो कापी बेचकर रुपये कमा रहा है। दस साल का विपिन एक फोटो कापी वाले से प्रत्यावेदन लेकर काउंसलिंग कराने आये लोगों को आठ-दस रुपये में बेंचता है। विपिन को पूरा दिन फोटो कापी बेंचने पर 100 रुपये मिलते हैं। विपिन का एक दोस्त राम निवास डायट के अंदर घूम-घूमकर लोगों से उनकी आवश्यकता के बारे में पूछता है और रुपये लेकर बाहर से सामान लाकर देता है। यह बच्चे डायट में कुछ रुपयों के खातिर पूरा दिन भटकते हैं और जिम्मेदार चुप्प हैं। जबकि डायट में प्रचार्य, प्रवक्ता व वहां आने जाने वाले भविष्य के शिक्षक उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। जिन बच्चों को भविष्य में उन्हें शिक्षा देनी हैं, वह ही लोग उनसे सामान मांगा रहे हैं।