नदियों का जलस्तर घटा पर कटान जारी
लखनऊ: नदियों में पानी घटने से बाढ़ से निजात भले ही मिल गई है पर कटान थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हालात यह हैं कि बाढ़ से फसलें नष्ट हो गई अब खेत कटकर नदियों में समा रहे हैं। अब पीडि़त राहत राशि की बाट जोह रहे हैं।
बाराबंकी में घाघरा एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। लेकिन परसावल व उसके आसपास के गांवों में पानी भर गया है। जिससे गांव वालों की दुश्वारियां बढ़ गई है। लखीमपुर में मोहाना नदी की तिकुनिया क्षेत्र मे कटान जारी है। कटान से ग्राम सूरतनगर व इंद्रनगर समेत अन्य कई गांवों का अस्तित्व संकट में है। उमेशनगर में भी मोहाना नदी से हो रहा भूमि कटान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कटान रोकने का सरकारी स्तर पर कोई प्रयास भी नहीं हो रहे हैं, जिससे लोगों में रोष है। सोमवार को शारदा बैराज पर शारदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 135.49 मीटर के सापेक्ष 134.20 मीटर व पलिया में खतरे के निशान 153.620 मीटर के सापेक्ष 153.570 मीटर रहा। घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 136.78 मीटर के सापेक्ष 134.70 मीटर रहा।
बाराबंकी में घाघरा एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। लेकिन परसावल व उसके आसपास के गांवों में पानी भर गया है। जिससे गांव वालों की दुश्वारियां बढ़ गई है। सीतापुर में गांजर क्षेत्र में घाघरा व चौका नदी के जलस्तर में कमी आई है पर कटान का क्रम अभी भी जारी है। रेउसा व रामपुर मथुरा क्षेत्र में नदी के तटवर्ती गांवों में आंशिक रूप से जमीन अभी भी कट रही है। हालात लगभग सामान्य होने को हैं लेकिन अपने गांवों से पलायन करके आने वाले ग्रामीण अभी भी सड़क के किनारे रहने को मजबूर हैं।
बलरामपुर में जिले में बाढ़ का पानी पूरी तरह से गांवों से निकल गया है। पानी घटने से नष्ट हुई फसलों की भयावह तस्वीर अब किसानों को अखरने लगी है। कई गांवों में क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा देने की मांग जोर पकड़ रही है। इस बीच सूबे के जंतु उद्यान राज्यमंत्री डॉ. एसपी यादव ने विभिन्न क्षेत्रों भ्रमण कर तीन सौ बाढ़ पीड़ितों में राहत राशि का चेक वितरित किया।