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..तो भूख मिटने के बाद मिलेगी रोटी

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 09:37 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 09:37 PM (IST)
..तो भूख मिटने के बाद मिलेगी रोटी

लखीमपुर : यह कैसी विडंबना है कि भूख तो अभी है, परंतु रोटी देने की बात भूख मिटने के बाद कही जा रही है। यह स्थिति उस बाढ़ खंड विभाग की है, जिसके कंधों पर सीमाई इलाके में नदी से हो रहा भूमि कटान रोकने का जिम्मा है। सीमा पर पहाड़ी मोहाना नदी तेजी से भूमि कटान कर क्षेत्र के लोगों को उजाड़ती जा रही है। क्या घर, क्या जमीन, क्या आय का जरिया सब कुछ नदी की भेंट हो जाता है, परंतु बाढ़ खंड बरसात के बाद कटान रोकने के उपाय करने की बात कर रहा है, जबकि कटान रोकने के उपाय तत्काल करने की जरूरत है।

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इन दिनों क्षेत्र के ग्राम सूरतनगर व इंद्रनगर में मोहाना नदी तेजी से भूमि कटान कर रही है। कोई बचाव कार्य नहीं होने से कटान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीमा पर बसे किसान कृषि योग्य भूमि, लहलहाती फसलें नदी में समाने से बर्बाद होते जा रहे हैं। उमेशनगर, रघुनंदनपुरवा, टाडा, दारबोझाी, रामनगर, मुझहा सहित कई बस्तिया कटान के निशाने पर हैं। यह भी आश्चर्य ही है कि किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार को सीमाई किसानों की पीड़ा महसूस ही नहीं हो रही है। बीती 20 अगस्त को जिलाधिकारी भी ग्राम सूरतनगर की भयावह भूमि कटान की स्थिति को देखकर जा चुके हैं। तब से आज तक करीब डेढ़ सौ मीटर कटान कर नदी अंदर आ चुकी है, परंतु बचाव कार्य शुरू क्यों नहीं हो रहे हैं। बचाव कार्य के सवाल पर बाढ़ खंड के अधिशाषी अभियंता गयास आलम कहते हैं कि बरसात का मौसम निकल जाने के बाद बचाव कार्य किये जायेंगे। बताते चलें कि बरसात के मौसम के बाद कटान की उतनी भयावह स्थिति नहीं होती है जितनी की अभी है। यह सीमाई कटान प्रभावित ग्राम वासियों के लिए विडंबना नहीं तो और क्या है कि जहा कटान रोकने के उपाय करने की तत्काल जरूरत है, वहीं बाढ़ खंड विभाग के हाथों से राहत अभी छूट ही नहीं पा रही है।

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फटकार का भी नहीं हुआ असर

तिकुनिया : अपर जिलाधिकारी की फटकार भी बाढ़ खंड अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं करा सकी है। बताते चलें कि सीमाई गांवों में हो रहे भूमि कटान की बावत अपर जिलाधिकारी हरिकेष चौरसिया ने बाढ़ खंड को फटकार लगाते हुए तत्काल राहत कार्य कराने को कहा था। फटकार का असर सिर्फ इतना हुआ कि बाढ़ खंड अधिकारी कटान प्रभावित सीमाई गांवों दौरा कर स्थिति देखने को पहुंचने लगे हैं, मगर बचाव कार्य के नाम पर अभी भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।


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