नदियां उफनाने से सीमा पर बसे ग्रामीणों में हड़कंप
भारत-नेपाल सीमा पर बह रही मोहाना नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण सीमा पर बसे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। इस कारण ग्रामीणों ने अब ऊंचे स्थानों पर अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है। साल दर साल मोहाना नदी की बाढ़ विभीषिका का दंश झेल रहे ग्रामीणों का दर्द जानने के लिए जब जागरण ने भारत-नेपाल सीमा की ओर अपना रुख किया तो रास्ते में एसएसबी रघुनगर की आउट पोस्ट चौकी के निकट एक ग्रामीण द्वारा बाढ़ से निपटने के लिए बल्लियों को जमीन में गाड़कर फूस की झोपड़ीनुमा डबल स्टोरी तैयार की गई थी। बाढ़ से निपटने के लिए ग्रामीण द्वारा की गई इस तैयारी को जब जागरण ने अपने कैमरे में कैद किया तो कैमरे का फ्लश चलते ही घर की मुखिया दीपोबाई पड़ोस में आकर खड़ी हो जाती हैं। पूछने पर बताती हैं कि मोहाना नदी हर साल बाढ़ के रूप में तबाही मचाती है। पिछले वर्ष आई बाढ़ के कारण पूरा घर जलमग्न हो गया था। घर में पाच फुट तक पानी भर गया था। इस कारण घर में रखा अनाज, कपड़े, बर्तन सब कुछ बाढ़ की भेंट चढ़ गया था। साल भर मेहनत-मजदूरी कर तिनका-तिनका जोड़कर अपना आशियाना बनाया है। इस बार भी मोहाना की तबाही में सब कुछ बाढ़ की भेंट न चढ़ जाए। इसके लिए बल्लियों के सहारे ऊंचा घर बनाया है, क्योंकि यहा बाढ़ कब आ जाए इसका कोई पता नहीं, क्योंकि नेपाल से पानी छूटते ही मोहाना नदी यहा तबाही मचाना शुरू कर देती हैं जिस कारण यहा बाढ़ का खतरा सितंबर माह तक बना रहता है। बाढ़ से निपटने का यह नया हथकंडा सीमावर्ती गाव बेलापरसुआ में भी देखने को मिला यहा भी ग्रामीणों ने अपने घर के अंदर मचान बनाकर उस पर अनाज व दैनिक उपयोग की वस्तुओं को रख दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के समय गाव की सरकारी इमारतों और पक्के मकानों की छतों पर शरण लेना मजबूरी बन जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के समय तो नेता और अधिकारी दोनों हाल चाल लेने आते हैं और मदद का आश्वासन भी देते हैं, लेकिन बाढ़ बीतने के बाद यहा कोई झांकने तक नहीं आता है।