ईसानगर में घाघरा ने दो गांवों के सात घर लीले
लखीमपुर, पहाड़ों पर हो रही बारिश से शारदा व घाघरा का जलस्तर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। निघासन में तीन दिन पूर्व शारदा का जलस्तर बढ़ने से पचास गांवों में आई बाढ़ से लगभग साठ हजार की आबादी प्रभावित हो गई है, जबकि ईसानगर में उफनाई घाघरा ने बुधवार को दो गांवों के सात घरों को लील लिया है। इसके साथ ही लगातार बढ़ रहे जलस्तर से पीलीभीत-बस्ती मार्ग पर पानी चलने से लोगों में हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों को प्रशासन से सहायता न मिलने के कारण उनमें निराशा बनी हुई है। उधर बढ़ रहे जलस्तर से लोग दहशतजदा हैं।
ईसानगर संवादसूत्र के मुताबिक जलस्तर बढ़ने के साथ ही घाघरा नदी ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। नदी बीते तीन दिनों में दो गांवों के सात घरों को अपने उदर में समा लिया। वहीं शारदा नदी के उफान से एक दर्जन से अधिक गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। धौरहरा तहसील में शारदा व घाघरा नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। घाघरा नदी के किनारे बसे ग्राम कैरातीपुरवा मजरा कुंजापुरवा पर अपना कहर ढाना शुरू कर दिया है। बीते तीन दिनों में नदी ने जियालाल, गंगाराम, कुन्नालाल, रामलखन, नदी के आगोश में समा गए, वहीं रामू, इंदल, रामकुमार के घर कटने की कगार पर हैं। इसके साथ ही हुलासपुरवा के अखिलेश, महेश प्रधान व रमेश के घर नदी ने काट लिया है। इन दोनों गांवों के लोग सड़क के किनारे अपने घर का सामान अस्त-व्यस्त तरीके से डाल रहे हैं। वहीं गांव के लोग नदी के रौद्र रूप को देखकर सहमें हुए हैं। साथ ही शारदा नदी के उफान के कारण ईसानगर खमरिया मार्ग पर कई जगह पानी सड़क के ऊपर बह रहा है। इससे आवागमन में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही मूसेपुर, पोंगवापुर, अदलीशपुर, सेमरहना, नया गांव, भरेहटा, पंडितपुरवा सहित एक दर्जन से अधिक गांवों में पानी भरा हुआ है।
निघासन संवादसूत्र के मुताबिक उफनाई शारदा का जलस्तर भले ही कम हो रहा हो, लेकिन बाढ के पानी से प्रभावित हुए लोगों की समस्याएं कम नहीं हुई। उनके लिए बाढ़ के पानी उतरने के साथ-साथ मुसीबत बढ़ती जा रही है। बाढ़ के पानी ने तराई इलाके करीबन पचास गावों के साठ हजार लोगों को प्रभावित किया है। वहीं तहसील प्रशासन भी इनके साथ सौतेला व्यवहार कर अनदेखी कर रहा है। शारदा नदी में तीन दिन पूर्व आई बाढ़ से प्रभावित हुए तराई क्षेत्र के गावों से पानी धीरे-धीरे कम होने लगा है। पानी कम होने के साथ प्रभावित हुए लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत खाना खाने की है। घरों में रखा अनाज भीग जाने से खाने योग्य नहीं बचा है। यही नहीं जलाने के लिए रखी लकड़ियां नम हो गई हैं। इससे वह भी जलाने के प्रयोग में नहीं आ रही है। दूसरी दिक्कत जानवरों के चारे की है पूरा क्षेत्र बाढ़ के पानी से भरा है जिससे चारे की भी समस्या बनी हुई है। इससे जानवरों को भी तीन दिनों से चारा नसीब नहीं हुआ है। बाढ़ के पानी के कम होने से गावों में कूड़ा सड़ने से दुर्गध आ रही है। इससे घरों के आसपास दुर्गध के कारण भयंकर बीमारी फैलने की आशंकाएं बनी हुई हैं। कई गावों से संपर्क मार्ग कट गए है तो कई मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। वही तहसील प्रशासन भी इनकी तरफ ध्यान नही दे रहा है, जिसके कारण बाढ़ का पानी भले ही कम हो रहा हो लेकिन उनके लिए मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं।