पोलिंग बूथ पर फायरिंग, दबा रहा प्रशासन
फरधान (लखीमपुर): मतदान में शाति व्यवस्था बनाने के नाम पर पुलिस कर्मियों द्वारा ही जनता में दहशत फैलाने का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं विभाग अपनी कमी को दबाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहा है। इसीलिए तो इतनी बड़ी घटना में भी दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस बात को लेकर क्षेत्रीय लोगों में काफी रोष है। वहीं जिम्मेदार लोग मौन साधे हैं।
घटना थाना क्षेत्र के गाव पचपेड़वा की है। यहा के प्राथमिक विद्यालय में लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2014 के लिए मतदान केंद्र बना था। करीब एक बजे दोपहर थानाध्यक्ष फरधान मतदान केंद्र का निरीक्षण करने के लिए केंद्र पर पहुंचे। बताते हैं कि केंद्र के आसपास गाव के कुछ बच्चे शोर कर रहे थे। एसओ की गाड़ी देखकर बच्चे तो भाग गए। इसी समय गाव के वेद प्रकाश शुक्ला वोट डालकर वापस लौट रहे थे। थानाध्यक्ष राजेश ने उनको मारना पीटना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। तो मतदान केंद्र पर तैनात एक सिपाही ने सीधी फायर कर दी। अगर उसका साथी होमगार्ड राइफल की नाल ऊपर न उठाता तो दर्जनों लोग मर जाते। इस बात को लेकर नाराज ग्रामीणों ने मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दी, लेकिन घटना के दूसरे दिन भी मामले में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई होना तो दूर रहा अभी तक मामले की रिपोर्ट तक नहीं दर्ज की गई है। इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी रोष है। सूत्रों की मानें तो चुनाव ड्यूटी में तैनात एक पुलिस कर्मी नशे में धुत था। इसी लिए उसने भीड़ पर गोली चला दी थी। सिपाही के नशे में होने या न होने की बात तो अलग है, लेकिन यह बात जरूर है कि मामले में गलती पुलिस की ही है। क्योंकि यदि जनता की गलती होती तो अगर पुलिस कर्मी फायर भी करते तो इसकी लिखा-पढ़ी की जाती और फायर हवा में की जाती, लेकिन पचपेड़वा मतदान केंद्र पर जिस तरह फिल्मी तरीके से सिपाही ने फायर की उससे यही लगता है कि पुलिस कर्मी नशे में था। गनीमत तो यह रही कि वहा पर तैनात गार्ड की सूझबूझ के चलते राइफल की नाल को छत की ओर मोड़ दिया गया जिससे एक बड़ी घटना होने से बच गई। दिलचस्प बात तो यह है कि इतनी बड़ी घटना को विभाग ने पूरी तरह से दबा दिया। जब इस संबंध में थानाध्यक्ष फरधान राजेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने पूरे मामले को ही झूठा बता दिया, जबकि सिपाही की फायर से विद्यालय की छत में बना छेद अभी तक मौजूद है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जनता के द्वारा इस तरह से फायर की गई होती तो पूरे गाव के खिलाफ मुकदमा लिखा गया होता, लेकिन पुलिस कर्मियों द्वारा सरेआम दहशत फैलाने के लिए की गई फायर का मामला दबा दिया गया है। ग्रामीणों ने दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करवाने की माग की है।