पोखरे में दरार, पशु-क्षी पानी के बेकरार
कुशीनगर: पिछले वर्ष दैनिक जागरण की परवान चढ़ी मुहिम को जिम्मेदार पलीता लगा रहे हैं। सब कुछ ठीक-ठाक ह
कुशीनगर: पिछले वर्ष दैनिक जागरण की परवान चढ़ी मुहिम को जिम्मेदार पलीता लगा रहे हैं। सब कुछ ठीक-ठाक होने के बावजूद तालाब व पोखरे सूख चुके हैं। अधिकतर स्थानों पर झाड़ियां होने से रौनक ही खत्म हो गई है। जल संचयन के साथ रखरखाव पर ध्यान न देने की वजह से अधिकतर तालाबों में पानी नहीं है। इसकी जिम्मेदारी प्रधानों की है, लेकिन वे इसे अनदेखी किए हुए हैं। इसकी वजह से गांव की हरियाली पर ग्रहण लगा हुआ है। अब भी समय है कि पोखरे व तालाबों तथा नदियों को पुराने स्वरूप में लाने के लिए सभी पहल करें। अधिकतर गांवों में प्यास बुझाने वाले पशु भी पानी के लिए तरस रहे हैं। तालाबों, पोखरों के इस दर्द के प्रति प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में ताल व पोखरे किताबों के हिस्से बन कर रह जाएंगे। ग्रामीण चंद्रकांत उर्फ डोरी लाल, हेमंत उर्फ पप्पू कहते हैं कि वर्तमान भागदौड़ की परिस्थिति में तालाब व पोखरों का जीवन महत्व को समझ प्रयास करना होगा। विनोद जायसवाल, अजय मद्देशिया, अवधेश कुशवाहा कहते हैं कि पोखरे व तालाब में पानी संचय की व्यवस्था करनी होगी। पहले पोखरे से खेत की ¨सचाई के साथ पशु-पक्षियों को पानी पीने से लेकर नहलाने की व्यवस्था होती थी। इस अभियान के माध्यम से अस्तित्व खो चुके पोखरे व तालाबों को पुराने स्वरूप में वापस लाने का संकल्प लें, नहीं तो तालाब व पोखरे इतिहास के पन्नों में सिमट जाएंगे। प्रधान लालमन यादव व प्रधान विनोद ¨सह पटेल कहते हैं कि प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ की वजह से जल संचय का संकट खड़ा होता जा रहा है। गांवों में पोखरे व तालाबों के अस्तित्व की रक्षा के लिए सभी को पहल करनी होगी।
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बोले डीसी मनरेगा
-डीसी मनरेगा महेंद्र चौबे ने कहा कि पोखरों व तालाबों की सफाई को लेकर धन की कमी आड़े नहीं आएगी। सभी प्रधान मानक के अनुरूप मिट्टी कार्य के साथ जल संचयन की व्यवस्था करें।