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थोड़ी सी चूक में गंवा रहे जान

कुशीनगर : जितनी बीमारी व आतंकवाद से लोगों की मौतें नहीं होती, उससे अधिक सड़क दुर्घटनाओं में जान जा र

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 11:29 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 11:29 PM (IST)
थोड़ी सी चूक में गंवा रहे जान

कुशीनगर : जितनी बीमारी व आतंकवाद से लोगों की मौतें नहीं होती, उससे अधिक सड़क दुर्घटनाओं में जान जा रही है। लगातार बढ़ रहे हादसों की वजह सड़क पर चलने के दौरान हमसे होने वाली चूक तो है ही, यातायात नियमों का उल्लंघन भी है। सड़क पर गलत दिशा में चलने के साथ ही छोटी-छोटी लापरवाही जान पर बन आती है। नाबालिग वाहन चालकों की वजह से स्थिति और भी खराब हो गई है। उनकी वजह से आए दिन कहीं न कहीं मार्ग दुर्घटना में घायल व मरने वालों की बात सामने आती है, लेकिन हम इन दुर्घटनाओं से सबक नहीं लेते। अगर नियमों का पालन करें और सीमित गति से वाहन चलाएं, तो हमारे साथ दूसरे सवार भी सुरक्षित रहेंगे। सड़कों पर जगह-जगह होने वाले हादसे कहीं नशे की हालत में होते हैं तो कहीं बिना हेलमेट के चालकों से। इस जिले में चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट भी नहीं लगाते हैं। जबकि नाबालिगों के वाहनों की गति भी तेज होती है, जिसकी वजह से कब कहां और कौन दुर्घटना के शिकार हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। प्रत्येक वर्ष वाहन चालकों को जागरूक करने के लिए एआरटीओ व पुलिस विभाग द्वारा लाखों खर्च कर गोष्ठियों के माध्यम से जागरूक करते हैं, लेकिन यह पहल सार्थक होते नहीं दिखती कि चालकों में जागरुकता आए। हकीकत यह है कि सुरक्षित यातायात की दिशा में उठाए जाने वाले कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं। जनपद में छोटे, मझले व बड़े वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वाहनों के चलाने के दौरान बरतने वाली सतर्कता पर न ही आमजन ध्यान दे रहे हैं और न ही सजग करने वाले ही तत्पर हैं। यह महज कोरम पूर्ति ही साबित हो रहा है। यही कारण है कि सड़क हादसों में कमी की बजाय निरंतर वृद्धि होती जा रही और बड़ी संख्या में लोग बे-मौत मर रहे हैं। जिले का अधिकांश हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। गांव के लोग हाइवे पर चलने के पहले यह नहीं देखते कि दाहिने या बाएं की ओर से वाहन आ रहे हैं अथवा नहीं, सीधे कट पर दो पहिया वाहन लेकर चलने के दौरान बड़े वाहनों की चपेट में जान गंवा बैठते हैं। कोई ऐसा दिन नहीं है जिस दिन मार्ग दुर्घटना में किसी व्यक्ति की जान जाने अथवा घायल होने की घटनाएं सामने न आती हों। इस जिले के अहिरौली थाना क्षेत्र के मझना पुल से लेकर बिहार बार्डर के समीप बहादुर पुर चौकी अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग पर तक तो कसया से पडरौना-पनिहयवां होते हुए बिहार के छपवा तक जाने वाली हाइवे पर भी पेशोपेश में दो पहिया वाहन चालक अपनी जान जोखिम में डालकर तेज गति से चलते हैं। सिर्फ चालू वर्ष में हुई घटनाओं पर नजर डालें तो अलग - अलग स्थानों पर हुए मार्ग दुर्घटनाओं में अब तक सौ से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। जबकि डेढ हजार से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। प्रभारी यातायात गोपाल पांडेय कहते हैं कि सिपाहियों की कमी के साथ ही अन्य आवश्यक संसाधनों की कमी के बीच बेहतर प्रयास किया जाता है। वाहन चालकों को खुद भी सतर्कता बरतनी होगी।

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क्या कहते हैं एआरटीओ

-एआरटीओ प्रशासन डा.प्रवेश कुमार सरोज कहते हैं कि चालकों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है। हम सभी का दायित्व बनता है कि अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें। एआरटीओ प्रवर्तन आरके त्रिवेदी कहते हैं कि जो वाहन चालक नियमों का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा।

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चलता रहता है अभियान:एसपी

-पुलिस अधीक्षक भारत ¨सह कहते हैं कि दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती रहती है। चूंकि कोहरे के समय दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। इस नाते शीघ्र ही अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। यातायात नियमों का पालन न करने वाले वाहनों का चालान किया जाएगा। इसके लिए सभी थानेदारों को निर्देश दिए गए हैं।

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वाहनों पर रिफ्लेक्टर नहीं

-ठंड के साथ कोहरे का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अधिकतर वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं, तो गन्ना लेकर जाने वाले ट्रैक्टर व ट्रालियों के पीछे न तो इंडीकेटर लगा है और न ही रिफ्लेक्टर लगा है। कमोवेश यही हालत अधिकतर पुरानी वाहनों में ट्रक व बसों की भी बनी हुई है। ऐसी स्थिति में दुर्घटना होना लाजिमी है। प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र ही ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करे, अन्यथा बड़ी दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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यातायात नियमों के विपरीत वाहन चलाते हैं युवा

-डा.वीके ¨सह कहते हैं कि तेजी से बढ़ रहे वाहनों के बीच यातायात प्रबंधन के संसाधन लचर हैं, जिससे आम आदमी जाम की समस्या से जूझ रहा है। नगर का कोई प्रमुख चौराहा या मार्ग नहीं जहां सुबह से लेकर देर रात तक यह समस्या कायम न रहती हो। यातायात प्रबंधन की लचर व्यवस्था पर डा.गायत्री पांडेय कहती हैं कि जिले में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है। अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती देखी जा सकती है। ऐसे में सुरक्षित यात्रा के लिए खुद ही सजगता बरतने की जरूरत है। डा.संदीप अरूण श्रीवास्तव कहते हैं कि वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इस लिहाज से सड़क व यातायात प्रबंधन के साधन नहीं बढ़े हैं। मोटर वाहन कानून व नियम कायदे यातायात को लेकर सख्त नहीं है, जिससे इन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे। डा.अरूण गौतम कहते हैं कि उचित यातायात प्रबंध न होने से सड़क पर चल रहे सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सिकुड़ती सड़कों के बीच अब तो राह चलना मुश्किल हो गया है। बीते दो दशक में गाड़ियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ, लेकिन आवश्यक इंतजाम नहीं। डा.वैभव श्रीवास्तव कहते हैं कि यातायात प्रबंधन के संसाधनों में कमी के चलते सड़कों पर जाम की समस्या से सबसे बड़ा नुकसान समय का होता है। चाहे हाइवे हो या जिले की अन्य सड़कें बेतरतीब वाहनों के खड़ा करने से हमेशा ही जाम की समस्या से जूझना पड़ता है।

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नहीं दूर किए गए ब्लैक स्पाट -एआरटीओ विभाग द्वारा कुशीनगर जनपद में दस ब्लैक स्पाट चिह्नित किया गया है। जो हाइवे से लेकर प्रमुख मार्गों पर स्थित है। इसकी रिपोर्ट भी विभाग ने उच्चाधिकारियों को भेज दी, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ।

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